राजस्थान में इंसान तो इंसान, बेजुबानों पर भी महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल के बाद चारा भी कतार में
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राजस्थान में इंसान तो इंसान, बेजुबानों पर भी महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल के बाद चारा भी कतार में

चारे की किल्लत को देखते हुए अभी से भूसा व्यवयासी सक्रिय हो गए हैं. क्षेत्र से दर्जनों ट्रक भूसा लादकर अन्य राज्यों के लिए रवाना किया जा रहा है. 

राजस्थान में इंसान तो इंसान, बेजुबानों पर भी महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल के बाद चारा भी कतार में

Kota: राजस्थान के कोटा समेत आसपास के इलाके में हजारों दुधारू पशुओं के लिए चारे की कमी के आसार बन रहे हैं. हर दिन दर्जनों ट्रॉली और पिकअप में भरकर भूसा पड़ोसी राज्यों में भेजा जा रहा है. ऐसे में हजारों पशुपालकों को अभी से अपने पशुओं की पेट भराई की चिंता सताने लगी है. अब सभी पशुपालक प्रसाशन से मदद की उम्मीद लगाए हुए है. 

पहले ही मार झेल चुके किसान, पशुपालक
आपको बता दें कि मार्च और अप्रैल में बेमौसम बारिश के चलते ज्यादातर रबी की फसलें बर्बाद हो गयी थी और बची हुई फसल को किसानों ने हार्वेस्टर मशीन से कटवा दिया गया था. इसमें भी गेहूं की अधिकांश कटाई हार्वेस्टरों से हुई थी. ओलावृष्टि से अछूते रहे इलाकों में ही ज्यादातार किसानों ने गेहूं की फसल थ्रेसर से तैयार की थी. जिसकी वजह से आने वाले दिनों में पशुचारे की किल्लत हो सकती है.

चारे की किल्लत को देखते हुए अभी से भूसा व्यवयासी सक्रिय हो गए हैं. क्षेत्र से दर्जनों ट्रक भूसा लादकर अन्य राज्यों के लिए रवाना किया जा रहा है.  ग्रामीण अंचलों से हर दिन 20 से 25 पिकअप, ट्रैक्टर ट्रॉलियों में ओवरलोड कर चारा पड़ोसी राज्यों में ले जाया जा रहा है. जहां सीमाओं पर अस्थायी चैकिंग प्वाइंट्स नहीं बनाए गए हैं. इससे भूसा कारोबारियों का काम और भी आसान हो रहा है. पशु मालिकों का कहना है कि क्षेत्र के खेतों से भूसा बेरोकटोक बाहर ले जाया जा रहा है. आने वाले दिनों में भूसा और महंगा होने से आम पशुपालकों के सामने मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करना आसान नहीं होगा. लेकिन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.

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इस बार डेढ़ गुना बढ़े भूसे के भाव
पशुपालकों का कहना है कि चारे की मांग और उपलब्धता में अंतर बढ़ने से भूसे की कीमतें डेढ़ गुना बढ़ गई है. जिस रफ्तार से पशुचारा निर्यात हो रहा है. उससे भूसे के भाव आसमान पर पहुंच गए है. आमतौर पर मार्च के अंतिम सप्ताह और अप्रैल माह में गेहूं की फसल की कटाई के समय गेहूं के भूसे की कीमत 4 से 5 रुपए प्रति किलोग्राम रहती थी. जो इस बार 10 से लेकर 13 रुपए तक हो गई है. पशु पालकों के लिए पशु रखना चुनौती बन गया है.

पिछले साल एक बिट गेहूं का भूसे की रेट दो हजार रुपए थी. लेकिन वर्तमान में भूसे की कीमत 5 से 7 हजार प्रति बिट हो गई है. आने वाले दिनों में भूसे की कीमतें और बढ़ने की संभावना को देखते हुए भूसा कारोबारी सक्रिय हैं. किसानों को अच्छी कीमत मिलने के कारण वे अपनी जरूरत के अनुसार स्टॉक के बाद शेष भूसा व्यापारियों को बेच रहे हैं. कई किसानों ने तो चारा निकालने की झंझट को देखते हुए फसल काटने के बाद नोलाईयां तक बेच दी है. ऐसे में बाहरी व्यापारी चारा बनाकर अपने क्षेत्रों में ले जा रहे है. जबकि यहां के पशुपालक चारे के लिए परेशान हो रहे है. महंगा भाव होने की वजह से लोग भूसा नहीं खरीद पा रहे हैं.  ऐसे में क्षेत्र मे चारे का संकट खड़ा हो गया है. भूसे के दाम आसमान छूने की वजह से लोग ओने पौने दामों में ही मवेशियों को बेच रहे हैं, जिससे मवेशियों की संख्या कम होती जा रही है. ऐसे में दुग्ध उत्पादों की कीमत भी बढ़ने की संभावना है.

गोशालाओं में भी बना चारे का संकट 
भीषण गर्मी के बीच गौशालाएं भी चारे के संकट से जूझ रही हैं. सुल्तानपुर नगर की श्री गोपाल गोशाला में भी वर्तमान समय चारे का संकट छाया हुआ है. गोशाला समिति के रमेश खण्डेलवाल और नरेंद्र विजय ने बताया कि क्षेत्र में किसान खेतों में फसल कटने के बाद शेष बची नोलाइयों को बेच रहे है. जहां बाहरी व्यापारी चारा बनाकर बाहर ले जा रहे है. मोटी रकम देने के बाद भी चारा नही मिल रहा है. इस बीच उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से राजस्थान में चारे की सप्लाई पर रोक लगा दिये जाने से गौशाला संचालकों की मुसीबत बढ़ गई हैं.

 

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