अगर आपको इमरजेंसी में ब्लड की जरूरत हो तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. एक टीम ऐसी है जो की दिन-रात बल्ड के जरूरतमदों की मदद में जुटी हुई है.
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Kota: कोटा में 5 हजार युवकों की टीम रक्तदान के लिए तत्पर रहती है. जिसके कारण कॉल पर रोगी को ब्लड डोनर मिल जाता है. अब तक 2 लाख लोगों की मदद की जा चुकी है.
कोटा में 5000 युवाओं की एक ऐसी टीम जो दिन-रात इंसानियत की सेवा में जुटी है.चाहे दिन हो या रात गर्मी हो या सर्दी या कोई पारिवारिक स्थिति युवाओं की टीम किसी भी परिस्थिति से हार नहीं मानती है क्योंकि इस टीम का ध्येय है रक्तदान महादान. इस टीम में ना सिर्फ युवा लड़के बल्कि बुजुर्ग पुरुष और बुजुर्ग महिलाएं और युवा महिलाएं वर्किंग वुमन भी शामिल हैं.
टीम के कई सदस्य ऐसे हैं जो सौ सौ बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.पारिवारिक संकट से जूझते समय जब संयोजक भुवनेश गुप्ता को अपनी मां के लिए ब्लड की आवश्यकता पड़ी तो उन्हें डोनर की तलाश में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी और उसी मशक्कत से उन्हें एक नई दिशा मिली.
गुप्ता को लगा कि रक्त की कमी से जूझते रोगी के पास समय कम होता है उसे तुरन्त रक्त की आवश्यकता होती है और इसमें एक पल की देरी भी जानलेवा साबित हो सकती है और बस यही से टीम रक्तदाता टीम जीवनदाता की शुरूआत हुई.
एक-एक कर ग्रुप में 5000 युवा जुड़ते चले गए और कोटा में रक्तदान के लिए का कार्यकत्ताओं का कारवां बढ़ता चला गया. ग्रुप के सदस्यों का कहना है कि रक्तदान करके उन्हें आत्म संतुष्टि मिलती है और यह मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है. इंसान की जान बचाना और रक्तदान करके वह कई बार मानव जीवन को बचा चुके हैं. टीम के संयोजक भुवनेश गुप्ता ने बताया कि अब तक 2 लाख लोगों की मदद इस ग्रुप के द्वारा की जा चुकी है और वह समय-समय पर ब्लड डोनेशन के लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं और कैंप भी चलाते हैं और इन कैंप के जरिए जो ब्लड इकट्ठा होता है. वह एमबीएस अस्पताल जेकेलोन और मेडिकल कॉलेज कोटा की बैंकों में डोनेट किया जाता है.
संयोजक गुप्ता ने बताया कि कोटा कोचिंग सिटी है और यहां पर 2लाख से ज्यादा छात्र कोचिंग के लिए आते हैं. ऐसे में उनके इस अभियान से अब कोटा कोचिंग के भी लगभग डेढ़ सौ छात्र जुड़े हुए हैं. जो अपनी स्वेच्छा से रक्तदान के लिए आते हैं. जब हमने रक्तदान करने आई एक महिला सदस्य से बात की तो उन्होंने बताया कि वह एक बैंक कर्मी है और अब तक चार बार ब्लड डोनेट कर चुकी हैं और वह अन्य महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहती हैं. उनका कहना था कि ब्लड डोनेट करने से उन्हें सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
हो सकता है उनके ब्लड से किसी की जान बच सके. किसी ऐसे इंसान की जान बच सके जो ब्लड की कमी से जिंदगी और मौत से जूझ रहा हो. ना केवल युवा बल्कि टीम के बुजुर्ग सदस्यों में भी जोश कुछ इसी तरह के का है कई बुजुर्ग सदस्य ऐसे हैं जो लगभग 100 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं और 50 से ज्यादा बार एसडीपी डोनेट कर चुके हैं.
कोटा की इस युवा टीम के बूते कोटा रक्तदान के आंकड़ों में प्रदेश में नम्बर वन पर है.सचमुच कोटा के युवाओं की यह टीम कहीं ना कहीं सभी को प्रेरणा देने वाली है और कई इन्सानों की जान बचाने में कारगर है.
Reporter-KK Sharma
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