Rajasthan Lok Sabha Seat: जयपुर ग्रामीण हाईप्रोफाइल सीट, कांग्रेस से सीधा टक्कर, जातीय समीकरण से समझिए किसका पलड़ा भारी?
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Rajasthan Lok Sabha Seat: जयपुर ग्रामीण हाईप्रोफाइल सीट, कांग्रेस से सीधा टक्कर, जातीय समीकरण से समझिए किसका पलड़ा भारी?

Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : जयपुर ग्रामीण सीट पर इस बार मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में सीधा है. यहां बीजेपी ने विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता राव राजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस की तरफ से युवा चेहरे के रूप में अनिल चौपड़ा मैदान में हैं. ऐसे में जातिगत चुनावी हिसाब-किताब को तमाम आंकड़ों के जरिए समझे किसका पलड़ा भारी है.

Rajasthan Lok Sabha Seat: जयपुर ग्रामीण हाईप्रोफाइल सीट, कांग्रेस से सीधा टक्कर, जातीय समीकरण से समझिए किसका पलड़ा भारी?

Rajasthan Lok Sabha Election 2024 : जयपुर ग्रामीण सीट पर इस बार मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में सीधा है. यहां बीजेपी ने विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता राव राजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस की तरफ से युवा चेहरे के रूप में अनिल चौपड़ा मैदान में हैं. अनिल चौपड़ा राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं.

जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इसका इतिहास बहुत ज्यादा पुराना नहीं है. दरअसल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई और 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां जयपुर ग्रामीण के रूप में पहला चुनाव हुआ. इससे पहले तक यह सीट दौसा संसदीय क्षेत्र में आती थी. राजेश पायलट, रमा पायलट और सचिन पायलट यहां से सांसद रहे हैं.

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इस सीट पर अभी तक के तीन चुनाव में बीजपी और कांग्रेस में दो-एक का अनुपात रहा है. यहां - 2009 के पहले चुनाव में कांग्रेस को जन समर्थन मिला, जबकि पिछले दोनों चुनाव बीजेपी ने जीते.

जयपुर ग्रामीण सीट के जातिगत चुनावी हिसाब-किताब को तमाम आंकड़ों पर नजर डाले तो इस सीट पर यादव समुदाय का दबदबा है. ऐसे में बीजेपी कंडिडेट राव राजेन्द्र सिंह को फायदा मिल सकता है.यहां जाट समुदाय का भी वर्चस्व है. यादव या अहीर समुदाय के आंकड़ों पर नजर डाले तो कोटपूतली, शाहपुरा, बानसूर, झोटवाड़ा, विराटनगर, आमेर में सबसे अधिक आबादी है. ये जयपुर ग्रामीण लोकसभा चुनाव का पलड़ा राव राजेंद्र के पक्ष में पलट सकते हैं.

जयपुर ग्रामीण पर अब तक के चुनाव में कांग्रेस ने हर बार नया प्रत्याशी उतारा है. साल 2009 में लालचंद कटारिया यहां से जीते, लेकिन 52 हज़ार वोट से ज्यादा की जीत के बावजूद उनकी जगह कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में डॉक्टर सीपी जोशी को उतारा. जोशी ने केंद्रीय मंत्री रहते चुनाव लड़ा लेकिन वह कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ से हार गए.

इसके बाद 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने तत्कालीन विधायक कृष्णा पूनिया को चुनाव मैदान में उतारा. कृष्णा पूनिया का ज़िला चूरू है और कांग्रेस ने संभवतया जाट वोटों का आधार देखते हुए उन्हें उतारा था लेकिन वह भी राज्यवर्धन राठौड़ के आगे नहीं टिक पाई.

अबकी बार दोनों चेहरों को नए फेस के रूप में माना जा सकता है हालांकि राव राजेंद्र सिंह पहले भी जन प्रतिनिधि रहे हैं और जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र से 2009 में लालचंद कटारिया के सामने चुनाव लड़ चुके हैं. लिहाजा क्षेत्र में पहचान का संकट उनके सामने नहीं है.

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इस सीट का रोचक पहलू यह भी है कि दो बार सांसद रहे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ यहां से एक बार के सांसद लालचंद कटारिया और उनके सामने चुनाव हारे राव राजेंद्र सिंह तीनों ही इस बार बीजेपी में हैं. इनके साथ गहलोत सरकार में मन्त्री रहे राजेन्द्र यादव भी अब बीजेपी में हैं. ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि भारी-भरकम नेताओं के जमावड़े का इस चुनाव में कितना असर होगा ?

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