नागौर के 5 शहर जिला बनने के दावेदार, किस शहर का दावा कितना मजबूत
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नागौर के 5 शहर जिला बनने के दावेदार, किस शहर का दावा कितना मजबूत

प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में जिन शहरों की नए जिला बनाने की मांग है वहां एक दम से सियासी पारा गर्माने लगा है. जिले की मांग को लेकर जगह-जगह धरने प्रदर्शन और रैलियां निकाली जा रही है.

डीडवाना को जिला बनाने की मांग

Deedwana: प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में जिन शहरों की नए जिला बनाने की मांग है वहां एक दम से सियासी पारा गर्माने लगा है. जिले की मांग को लेकर जगह-जगह धरने प्रदर्शन और रैलियां निकाली जा रही है. कहीं हड़ताल तो कहीं भीड़ जुटाई जा रही है और सैंकड़ों की संख्या में ज्ञापन दिए जा रहे हैं . कोई भी जिले की दौड़ में अपने आप को कमतर नहीं आंक रहा है सबके अपने-अपने दावे हैं और अपनी-अपनी राग.

नागौर जिले का सियासी पार भी फिलहाल इसी मुद्दे पर गरमाया हुआ है. यहां 3 दशक पहले 1 शहर से जिले की मांग उठी, 1 दशक बाद इन शहरों की संख्या दो हुई और अब नागौर जिला प्रदेश का सबसे ज्यादा जिलों की मांग वाला जिला है.  जहां 5 शहर जिले की मांग कर रहे हैं. जिले में डीडवाना, कुचामन, मकराना, मेड़ता और परबतसर उपखण्ड से जिला बनाने की मांग को लेकर लोगों और संगठनों ने ज्ञापन दिए हैं. 

किन-किन शहरों के क्या है दावे

डीडवाना - डीडवाना से सबसे पहले जिला बनाने की मांग 90 के दशक में उठी थी. 1998 में भैरोसिंह सरकार के वक्त हरिशंकर भाभड़ा के वित्त मंत्री रहते हुए लोगों को यह विश्वास हो गया था कि डीडवाना जिला बन जायेगा. जानकारों की माने तो उस वक्त भाभड़ा विधायक तो रतनगढ़ से थे लेकिन जन्मभूमि डीडवाना से उनका मोह था. इसीलिए डीडवाना को जिला बनाने की मांग को पूरा करने के लिए उस वक्त उन्होंने पूरा प्रयास किया.  तात्कालिक कलेक्टर से कोई सूचना लीक हो जाने की वजह से उस वक्त डीडवाना को जिला नहीं बनाया जा सका. और आज भी डीडवाना उस घोषणा की आस लेकर बैठा है. 

यहां वर्तमान में कलेक्टर और एसपी को छोड़कर जिला स्तर के सभी कार्यालय पूर्व में ही मौजूद हैं. आज़ादी से पूर्व डीडवाना एक अकेला खालसा परगना था जिसपर हुकूमत सीधे दिल्ली से होती थी. रियासत काल मे जोधपुर रियासत में न्यायपालिका के लिहाज से जोधपुर के बाद केवल डीडवाना में ही कचहरी थी.  यहां के नमक झील का इतना महत्व था कि अंग्रेज सरकार ने यहां पर नमक सुप्रिण्डेन्ट बिठाया जो पूरे प्रदेश से नमक पर कर वसूलता था.

आजादी के बाद भारत सरकार ने जर्मनी के सहयोग से यहां सोडियम संयंत्र स्थापित करवाया और राजस्थान के उपक्रम विभाग के 9 में से 8 उपक्रम यहीं पर स्थित थे. शिक्षा की दृष्टि से आज़ादी के बाद मारवाड़ जोधपुर प्रान्त में जोधपुर के बाद डीडवाना का बांगड कॉलेज पहला कॉलेज था जो अब भी जिले का सबसे बड़ा सरकारी कॉलेज है. 

डीडवाना के लोगों का दावा है कि डीडवाना आज़ादी के पूर्व भी जिला था इसलिए हमें हमारे हक फिर से मिलना चाहिए. जिसकी वो आहर्ता भी रखता है. साथ ही इसमें चुरू जिले के सुजानगढ़ को भी शामिल किया जा सकता है. आज तक राज्य सरकार ने जितनी भी कमेटियां बनाई गई या रिपोर्ट्स बनवाई गई उन सभी मे डीडवाना को जिला बनाने के लिए उपयुक्त माना गया जिसकी स्वीकृति बाद में राजस्व विभाग ने भी दी. 

कौन-कौन से प्रमुख कार्यालय मौजूद 

डीडवाना में वर्तमान में प्रशासनिक दृष्टि से अतिरिक्त जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार कार्यालय है. जबकि सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त जिला कलेक्टर, पुलिस उपाधीक्षक, पुलीस निरीक्षक स्तर का थाना, ट्रैफिक चौकी और शहरी पुलिस चौकी मौजूद है,
न्यायिक दृष्टि से डीडवाना की वर्तमान कोर्ट परिसर की स्थापना 1933 में हुई जिससे पहले यह कोर्ट गेट के बाहर सुप्रिडेंटि की गली में स्थापित था. यहां एडीजे, एसीजेएम और मुंशीफ मजिस्ट्रेट के कोर्ट कई दशकों से है. 

स्वास्थ्य के लिहाज से बांगड राजकीय जिला अस्पताल, आर्मी का ईसीएचएस अस्पताल, तीन शहरी डिस्पेंसरी यहां मौजूद है. जिला स्तरीय कार्यालयों के लिहाज से यहां - जिला परिवहन कार्यालय, जिला सैनिक कल्याण कार्यालय, रोडवेज का आगार, अधीक्षण अभियंता सार्वजनिक निर्माण विभाग, अधीक्षण अभियंता नहरी विभाग, केंद्रीय बस स्टैंड, इसके अलावा यहां सभी उपखण्ड स्तरीय कार्यालय मौजूद हैं. 

कुचामन - कुचामन को जिला बनाने की मांग विगत 2 दशकों से प्रबल हुई. 1998 में जब डीडवाना को जिला बनाने की घोषणा होने की सूचना लीक हुई तो इसका सबसे पहले कुचामन के लोगों ने विरोध किया और धरने पर बैठ गए. जिसके चलते सरकार ने जिला बनाने की प्रक्रिया स्थगित कर दी. 2010 तक कुचामन शहर खुद नावां तहसील की उपतहसील था जिसे 2010 में गहलोत सरकार के कार्यकाल में तहसील बनाया गया. बाद में आई वसुंधरा सरकार ने प्रदेश की तात्कालिक सभी तहसीलों को उपखण्ड मुख्यालय बना दिया जिसके कारण कुचामन भी उपखण्ड बन गया.

13 मार्च 2020 को ही कुचामन में एडीएम कार्यालय खोला गया और इसी साल यहां एएसपी कार्यालय की घोषणा कर दी गई. इन दो घोषणाओं ने प्रशासनिक तौर पर कुचामन को डीडवाना के बराबर खड़ा कर दिया. हालांकि जिला स्तरीय सरकारी कार्यालयों की आज भी कुचामन में नितांत कमी है. कुचामन का सबसे बड़ा दावा यहां का स्टूडेंट पावर है.  यहां प्राइवेट कोचिंग और डिफेंस अकादमियों में तकरीबन 40 हजार स्टूडेंट अध्ययनरत हैं. जिसकी वजह से कुचामन को शिक्षानगरी कहा जाता है. व्यापार की दृष्टि से यहां की कृषि मंडी उन्नत है जबकि सांभर सॉल्ट का एक हिस्सा नावां में आने की वजह से नमक का बड़ा कारोबार यहां होता है. कुचामन नावां विधानसभा क्षेत्र में ही आता है. डीडवाना के बाद कुचामन सबसे बड़ा दावेदार है. 

मार्बल नगरी मकराना

संगमरमर की चमक वाले मकराना को जिला बनाने की मांग गत 8-10 सालों से की जा रही है. मकराना की सर्वाधिक जनसंख्या वाला शहर है और संगमरमर की वजह से पूरे विश्व मे अपनी अलग पहचान रखता है. जिले में सर्वाधिक राजस्व भी इसी उपखण्ड से सरकार को मिलता है. मकराना वर्तमान में नगर परिषद है. हालांकि प्रशासनिक दृष्टि से मकराना कमजोर है. एक दशक पूर्व तक यह बीबी केवल तहसील मुख्यालय ही था और परबतसर उपखण्ड का तहसील था.  खनिज संपदा के लिहाज से यहां खनिज अभियंता कार्यालय है. संगमरमर की वजह से अपनी पहचान और सर्वाधिक राजस्व देने वाला शहर होने के कारण जिला बनाने का दावा करता है. 

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मेड़ता - मेड़ता आज़ादी के बाद से ही न्यायिक दृष्टि से जिला है. जिले के सभी जिला न्यायालय और प्रमुख न्यायालय मेड़ता में ही है. मेड़ता नागौर जिले की सबसे बड़ी कृषि मंडी भी है. ऐतिहासिक दृष्टि से भी मेड़ता अपना अलग ही महत्व पूरे जिले में रखता है. भक्तिमति मीराबाई की जन्मस्थली के रूप में भी देशभर में अपनी पहचान रखता है. यहां के लोगों का कहना है कि आजादी के बाद नागौर में इसी शर्त पर मेड़ता शामिल हुआ था कि इसका स्वतंत्र अस्तित्व बना रहेगा और इसीलिए सभी न्यायालय उस समय मे मेड़ता में खोले गए.  अब क्योंकि नागौर बहुत बड़ा जिला है तो मेड़ता को प्रशासनिक तौर पर भी जिला बनाया जाए. 

परबतसर - परबतसर को जिला बनाने की मांग को लेकर हाल में स्थानीय संगठनों ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर जिले की मांग की. परबतसर शहर के लोगों का दावा है कि यहां एशिया प्रसिद्ध पशु मेला सैंकड़ों सालों से भर रहा है. साथ ही जिले की दूरी के लिहाज से परबतसर सेंटर में आता है. मार्बल खनन शहर बिदियाद सहित मकराना का अधिकांश मारब शहर परबतसर में आता है. इसलिए परबतसर को जिला बनाया जाना चाहिए. 

Report: Hanuman Tanwar

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