Rajasthan News: आज हम आपको राजस्थान के उस महाराज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने सांप की जान बचाने के लिए अपनी जीभ पर डसवाया. जानें उनकी कहानी.
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Rajasthan News: राजस्थान में ऐसे कई राज रहे, जिन्होंने वचन निभाने के लिए अपनी जान दे दी. इनमें ही तेजाजी महाराज का नाम भी शामिल है. तेजाजी महाराज ने गायों की रक्षा के लिए एक सांप को दिया हुआ वचन निभाया. अपने प्राण देने वाले गौ रक्षक तेजाजी महाराज आज पूरी दुनिया में लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं.
तेजाजी महाराज का जन्म नागौर जिले के खरनालियां गांव में हुआ था. तेजाजी के पिता ताहड़ देव और माता रामकंवरी थे, जो भगवान शंकर की पूजा करते थे.
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कहते हैं कि माता रामकंवरी को नाग-देवता के आशीर्वाद से ही तेजाजी जैसा पुत्र हुआ था. तेजाजी का विवाह 9 महीने की आयु में 6 माह की पेमल के साथ पुष्कर में करवाया गया था.
तेजाजी ने लाछा गुर्जरी की गायों को बचाने के लिए डाकुओं से लड़ाई लड़ी. जब वह गायों को बचाने जा रहे थे तो उन्होंने आग में जल रहे सर्प को बचाया. वहीं, जोड़े से बिछुड़ जाने की वजह से सांप गुस्सा हो गया और तेजाजी को डसने लगा. वहीं, तेजाजी ने रोककर सांप को कहा कि वे गायों का बचाने जा रहे हैं और सांप को वचन दिया कि जब वह आएंगे तो उन्हें डंस लेना.
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गायों क रक्षा करते वक्त तेजाजी घायल हो गए और वचन निभाने के सांप के पास पहुंचे तो पूरे शरीर पर चोट देखकर सांप ने डसने से मना कर दिया. वहीं, तेजाजी ने वचन निभाने के लिए जीभ निकालकर दे दी और कहा कि इस पर घाव नहीं है. जीभ पर सांप ने डसा. इसी के चलते तेजाजी महाराज लोकदेवता के रूप में पूजे जाने लगे. कहा जाता है कि तेजाजी महाराज भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं. जिस घोड़ी पर तेजाजी सवार रहते थे उसका नाम लीलण था.
Disclaimer: इस खबर के प्रकाशन में हमसे तेजाजी महाराज के जन्म को भूलवश राजपूत वंश में जन्म लेना प्रकाशित हो गया था, जबकि तेजाजी महाराज का जन्म जाट किसान के घर हुआ था और वीर तेजाजी महाराज 36 कौमों के और किसानों के देवता हैं, हमसे भूलवश हुई गलती के लिए हमें खेद है.