आजादी के 75 साल बाद भी धरियावाद में जान जोखिम में डाल कर उफनती नदी को पार करने को मजबूर लोग
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आजादी के 75 साल बाद भी धरियावाद में जान जोखिम में डाल कर उफनती नदी को पार करने को मजबूर लोग

आजादी के 75 साल बाद भी धरियावाद में लोग जान जोखिम में डाल कर उफनती नदी को पार करने को मजबूर है.

आजादी के 75 साल बाद भी धरियावाद में जान जोखिम में डाल कर उफनती नदी को पार करने को मजबूर लोग

Dhariawad: आदिवासी बाहुल्य प्रतापगढ़ जिले में हर साल प्रशासन विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करता है. लेकिन इन दावों की पोल हर साल होने वाली बारिश में खुल जाती है. आजादी के 75 साल बाद भी अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं और भारी बारिश में अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी नालों को पार कर रहे हैं. 

बारिश से बचने के लिए इन इलाकों से ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आ रही है जिसे देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. जिले के धरियावद उपखंड मुख्यालय के वगतपुरा, मूंगाणा, पारसोला सहित जिले भर के कई आदिवासी अंचल के क्षेत्रों में बारिश के इन दिनों में लोग जान जोखिम में डालते हुए नजर आते है. 

कई गांव ऐसे हैं जहां पर आज भी मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाई है. खासकर बरसात के मौसम में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. गांवों से सम्पर्क टूटने के कारण लोग अपनी रोजमरा की जरूरतों को चीजों के लिए जान को जखिम में डालकर नदी नाले पार करते है. 

अभी पिछले दिनों भी जिले के पीपलखूंट उपखण्ड क्षेत्र में नदी पार कर रहे दो युवक के बहने से मोत हो गई थी. युवक के शव की तलाश के लिए रेस्क्यू टीम को भी करीब 48 घंटे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. नदी नाले उफान पर आने के बाद भी इस पुल को पार करने के लिए ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है.

Reporter- Vivek Upadhyaya

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