रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव भारत के गरीब की थाली पर, गेहूं के भाव आसमान पर
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रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव भारत के गरीब की थाली पर, गेहूं के भाव आसमान पर

रूस-यूक्रेन युद्ध का असर अब गेहूं के साथ ही अन्य जिंसों पर भी नजर आने लगा है. प्रतापगढ़ की कृषि उपज मंडी में पिछले 1 सप्ताह से गेहूं के भाव में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. गेहूं के भाव पिछले 1 हफ्ते में 25 फीसदी से अधिक बढ़ चुके हैं.

रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव भारत के गरीब की थाली पर, गेहूं के भाव आसमान पर

Pratapgarh: रूस-यूक्रेन युद्ध का असर अब गेहूं के साथ ही अन्य जिंसों पर भी नजर आने लगा है. प्रतापगढ़ की कृषि उपज मंडी में पिछले 1 सप्ताह से गेहूं के भाव में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है. गेहूं के भाव पिछले 1 हफ्ते में 25 फीसदी से अधिक बढ़ चुके हैं. इधर जिंसों के अच्छे भाव आने से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. पिछले एक सप्ताह में गेहूं के भावों में अप्रत्याशित वृद्धि हो गई है. हालात ये हैं कि 25 प्रतिशत बढ़ोतरी होने के साथ ही प्रतापगढ़ मंडियों में दो हजार से बढ़कर ढाई हजार रुपए प्रति क्विटल हो गए हैं. ये भाव रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़े है. 

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गौरतलब है कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण गेहूं की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है. रूस और यूक्रेन से गेहूं का आयात करने वाले देशों की नजरें गेहूं के लिए भारत की तरफ है. वहीं दूसरी ओर किसान भी गेहूं के अच्छे भाव मिलने के चलते फसल पकने के साथ में खलिहान से सीधे मंडी में लेकर पहुंच रहे हैं. ऐसे में गेहूं की कीमतें गत एक हफ्ते से लगातार बढ़ रही है. भारत गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर है. ऐसे में कई देशों की निगाहें अब भारत पर है. जिससे भावों में बढ़ोतरी हो गई है.

भाव बढ़ने के कारण दुनियाभर में करीब 20 करोड़ टन के गेहूं का निर्यात होता है. इसमें रूस और यूक्रेन की हिस्सेदारी 5 से 6 करोड़ टन की है. अब यहां दोनों देशों में युद्ध चल रहा है. जिससे इन देशों से आयात करने वाले देशों को अन्य देशों से गेहूं खरीदना पड़ेगा. भारत से गेहूं खरीदने के लिए कई देश मन बना रहे है. रूस दुनिया का सबसे बड़ा और यूक्रेन तीसरा गेहूं निर्यातक देश है. 2021-22 के दौरान रूस से 3.5 करोड़ टन और यूक्रेन से 2.4 करोड़ टन निर्यात होने का अनुमान था. लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से आपूर्ति बाधित होने की आशंका है. यहां से आपूर्ति ठप होगी तो मौका उन देशों के पास होगा जिनके पास पर्याप्त स्टॉक है. 

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भारत से भी अन्य देश गेहूं खरीदेंगे. यहां कृषि उपज मंडी में नए और गुणवत्ता वाले गेहूं का भाव सबसे अधिक बोला जा रहा है. यहां लोकवान गेहूं के भाव अधिक है. इसमें भी नए गेहूं की आवक हो गई है. ऐेसे में मोटा दाना और चमकीले गेहूं का भाव अधिक है. ऐसा नहीं है कि युद्ध का असर सिर्फ गेहूं की कीमतों पर ही पड़ा है. इसका असर तिलहन फसलों के साथ अन्य फसलों पर भी देखा जा रहा है. हालांकि युद्ध का परिणाम चाहे जो हो लेकिन किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलता नजर आ रहा है.

रिपोर्टर- विवेक उपाध्याय

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