खानपान में अनियमितता और पौष्टिकता के अभाव में महिलाओं और नवजात शिशुओं में खून की कमी और खून में आयरन की कमी होने लगी है. गर्भवती महिलाओं के बच्चों में भी एनीमिया रोग बढ़ रहा है.
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Pratapgarh: खानपान में अनियमितता और पौष्टिकता के अभाव में महिलाओं और नवजात शिशुओं में खून की कमी और खून में आयरन की कमी होने लगी है. गर्भवती महिलाओं के बच्चों में भी एनीमिया रोग बढ़ रहा है.
गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से मातृ मृत्युदर के साथ शिशु मृत्यु दर भी बढ़ रही है. प्रदेश में 46.3% तो प्रतापगढ़ में 56.2% गर्भवती महिलाओं के खून में आयरन की कमी पाई गई है, जबकि प्रदेश सहित प्रतापगढ़ जिले में हर महीने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं को और उनके 5 वर्ष तक के बच्चों को पोषाहार के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. इसमें प्रत्येक बच्चे और महिला को गेहूं, दाल और चावल दिए जाते हैं.
अभी हाल ही में स्कूलों में भी गुड़ की चक्की वितरित की गई थी. शरीर में लौह तत्व की कमी को दूर करने के लिए अब प्रदेश में हर माह के दूसरे मंगलवार को शक्ति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. गौरतलब है कि जिले में आदिवासी बाहुल्य इलाके में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का काफी अभाव है. ऐसे में यहां कुपोषण की स्थिति बनी हुई है, जिससे विशेषकर महिलाओं में स्वास्थ्य को लेकर अनदेखी की जाती है.
स्वास्थ्य की अनदेखी का परिणाम है कि जिले में एनीमिया की स्थिति प्रदेश की तुलना में काफी कमजोर है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में 2019 और 2021 के बीच किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएएफएचएस) की ओर से दोनों चरणों के प्रमुख निष्कर्ष जारी किए। जिसमें राजस्थान के आंकड़ों की तुलना में प्रतापगढ़ जिले की स्थिति कमजोर है. ऐसे में विभाग व राज्य सरकार की ओर से शक्ति दिवस कार्यक्रम पर विशेष नजर रखी जा रही है.
आंगनबाड़ी केन्द्रों, विद्यालयों एवं चिकित्सा संस्थानों में 5 वर्ष तक के बच्चों के साथ अन्य उम्र के बच्चों व महिलाओं को दवा और पोषाहार वितरित किया जा रहा है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रत्येक सीएससी, पीएससी, चिकित्सा केंद्र, आंगनबाड़ी व स्कूलों में शक्ति दिवस मनाया जा रहा है.
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एनीमिया ये यह असर
खून में आयरन की कमी से एनीमिया रोग होता है. बच्चों में शारीरिक वृद्धि नहीं हो पाती, थकान महसूस होती है। जिससे उनका मन खेलने-पढ़ने में भी नहीं लगता है. गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से शिशु व माता की जान को भी खतरा होता है. किशोरी, बालिकाओं में खून की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन हो जाता है. नाखून व बाल कमजोर हो जाते हैं.
सभी उम्र, वर्ग है प्रभावित
प्रदेश में एनीमिया रोग बढ़ा है. एनएएफएचएस के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 71 प्रतिशत बच्चों में एनीमिया रोग है. यह आंकड़ा जिले में 65.8 प्रतिशत है. वहीं प्रदेश में 55 प्रतिशत महिलाएं, जबकि जिले में 53 प्रतिशत है। इसी प्रकार 60 से 65 प्रतिशत सभी वर्ग के वयस्क एवं 46 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से जूझ रहे हैं.
Reporter- विवेक उपाध्याय
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