परिवार का आरोप है कि सेना के अधिकारियों ने उनको किया गुमराह है. विक्रम के बड़े भाई नरेंद्र ने बताया कि 22 मार्च की शाम तीन बार विक्रम की पिता से बात हुई थी, ऐसी कोई बात नहीं थी कि विक्रम आत्महत्या करें
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श्रीमाधोपुर: ढाणी टिकरिया निवासी एवं जम्मू कश्मीर के बारामूला सेक्टर के 21 कुमायूं रेजीमेंट के जवान विक्रम यादव का शव शुक्रवार की सुबह 7:00 बजे बिना प्रोटोकाल के पहुंचा. इससे गुस्साए लोगों ने नीमकाथाना सड़क मार्ग धरना शुरू कर दिया, जिससे जाम लग गया. इस दौरान प्रशासन और जिला सैनिक अधिकारी द्वारा उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की गई लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला.
कुमाऊं रेजीमेंट में तैनात था जवान
जानकारी के अनुसार, बारामूला जम्मू कश्मीर सेक्टर 21 के कुमाऊं रेजीमेंट के जवान विक्रम कुमार यादव ( 20) की 23 मार्च को ड्यूटी के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी. सेना के अनुसार विक्रम यादव ने अपनी राइफल से गोलीमार कर आत्महत्या की है.
बिना प्रोटोकाल के लाया गया शव
इस बीच, शुक्रवार सुबह 7:00 बजे एक निजी एंबुलेंस से सेना के नायब सूबेदार चतर सिंह के नेतृत्व में बिना प्रोटोकॉल विक्रम के शव को उसके पैतृक गांव पुलिस की उपस्थिति में लाया गया. लेकिन बिना प्रोटोकोल शव को जब लोगों ने एंबुलेंस पर रखे देखा तो वो नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने शव को नीमकाथाना, शाहपुरा सड़क मार्ग पर रख कर धरना शुरू कर दिया.
स्थानीयों ने धरना और जाम लगाया
इसके बाद मौका स्थल पर पहुंचकर प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को समझाया लेकिन लोग नहीं माने. साथ ही सूचना मिलते ही नीमकाथाना के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी अजय सिंह भी मौका स्थल पर पहुंचे एवं लोगों को समझाने की कोशिश की. लेकिन बात नहीं बनी.
उच्च स्तरीय जांच की मांग
इस दौरान लोगों ने कहा कि विक्रम देश की रक्षा करने के लिए सेना में तैनात था, उसे बिना प्रोटोकॉल ही लाया गया इसलिए प्रोटोकॉल दिया जाए एवं मौत की उच्च अधिकारियों से जांच कराई जाए. लोगों का आरोप था कि विक्रम ने आत्महत्या नहीं की है बल्कि उसकी गोली मारकर हत्या की गई है. लेकिन सेना का दावा है कि विक्रम ने अपनी राइफल से गोली मारकर आत्महत्या की है और उसका पोस्टमार्टम करवाया गया है.
शव को खोलकर दिखाने से किया इंकार
आखिर में लोगों की मांग थी कि शव को खोल कर परिजनों को दिखाया जाए लेकिन जिला सैनिक कल्याण अधिकारी नीम का थाना के पास सेना के उच्च अधिकारियों का फोन आया और कहा गया कि किसी को भी शव नहीं दिखाया जाए. अगर लोग देखना चाहे तो उसका मुंह देख सकते हैं. इसके बाद गुस्साए लोगों ने उपखंड अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी एवं धरना देते हुए जाम लगा दिया.
सेना पर गुमराह करने का आरोप
वहीं, परिवार का आरोप है कि सेना के अधिकारियों ने उनको किया गुमराह है. विक्रम के बड़े भाई नरेंद्र ने बताया कि 22 मार्च की शाम तीन बार विक्रम की पिता से बात हुई थी, ऐसी कोई बात नहीं थी कि विक्रम आत्महत्या करें, उसके बाद 23 मार्च की दोपहर 2:00 बजे जम्मू कश्मीर सेना के अधिकारियों का मेरे पिताजी के पास फोन आया कि विक्रम ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली.
फोन पर बताई गई अलग-अलग बात
विक्रम के भाई नरेंद्र ने आरोप लगाया कि सेना के अधिकारियों ने उनको चार बार टेलीफोन कर गुमराह किया. उन्होंने हर बार हमें नई-नई बात बताई. कभी कहा विक्रम ने आत्महत्या कर ली तो कभी कहा कि विक्रम के साथियों के साथ लड़ाई झगड़ा हो गया, कभी कहा कि विक्रम के कोरोना हो गया इसलिए हमें बार-बार गुमराह किया गया और कहा कि आप जम्मू-कश्मीर आकर शव ले जाएं.
उन्होंने कहा कि हमें पूर्ण विश्वास है कि विक्रम ने आत्महत्या नहीं की. मौत की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए.
(इनपुट-गजानंद शर्मा)