Dhanteras Rangoli Designs: धनतेरस पर बनाएं खूबसूरत रंगोली, नेगेटिव एनर्जी रहेगी दूर घर में आएगी खुशहाली. रंगों से खिल उठेगा घर का आंगन, मांडने और अल्पना से आएगी शुद्धता और पवित्रता तो इस बार ऐसे करें दीवाली की शुरुआत धनतेरस की रंगोली के साथ.
Trending Photos
Dhanteras Rangoli Designs: धनतेरस का पर्व दिवाली के पांच दिन के त्यौहार की शुरुआत माना जाता है. धनतेरस को आरोग्य के दिन के नाम से भी जाता है साथ ही धनतेरस को ही भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी, देवता कुबेर और यमराज की पूजा की जाती है. कहा जाता है की धन तेरस के दिन घर के आंगन में रंगोली बनने से परिवार के रोगों का नाश होता है, महालक्ष्मी घर में प्रवेश करती है साथ ही अकाल मृत्यु का भी समाप्त होता है. इस बार धनतेरस 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा. दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन से ही लोग अपने घरों को सजाना शुरू कर देते हैं. धनतेरस के शुभ अवसर पर रंगोली बनाने की परंपरा है.
रंगोली को खुशी और शुभता का प्रतीक माना जाता है. रंगोली ऊर्जा की प्रतीक होती है जो सकारात्मकता को बढ़ते है और नेगेटिविटी को दूर करती है. आइये आज आपको बताए है धन तेरस के दिन बनाये जाने वाले रनगोली के डिजाइन, जो आँगन को खूबसूरत लुक देने के साथ ही नयी ऊर्जा का संचार करते है.
कमल के फूल पर ढेर सारे सिक्कों से भरा मटका
कमल के फूल को मां लक्ष्मी का आसन माना जाता है. ऐसे में कमल के फूल पर मटके में ढेर सारे सिक्कों से भरा ये रंगोली डिजाइन बहुत ही आकर्षक लगता है. इस डिजाइन को बनाने के लिए आप लाल, हरे, सफेद, पीले की रंगोली रंग या फूलों की पंखुडियों का प्रयोग कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी पसंद का भी रंग ले सकते हैं. रंगोली के डिजाइन में स्वास्तिक का चिन्ह जरूर बनाएं और चारों तरफ दीपक रख दें. कमल के फूल पर मटके में ढेर सारे सिक्कों से भरा ये रंगोली डिजाइन बेहद ही खूबसूरत लग रहा है. इसे पीले, लाल, हरे, सफेद रंग की रंगोली कलर से बनाया गया है. आप अपनी पसंद का भी रंग ले सकते हैं. स्वास्तिक चिन्ह जरूर बनाएं और चारों तरफ दीये रख दें. इससे घर भी जगमगा उठेगा और देखने वाले भी वाह वाही करते नहीं थकेंगे.
कम स्पेस में आकर्षक रंगोली
धनतेरस के लिए आपको रंगली बनानी है और घर में जगह कम है तो ये डिजाइन आपके घर के लिए परफेक्ट हो सकता है. जिनके घर में ज्यादा खाली स्पेस नहीं है या फिर हॉल या आंगन नहीं है तो आप इसे पूजा घर में भी बना सकते हैं. इसमें शुभ धनतेरस लिखकर डिजाइन बनाना है, जो अधिक मुश्किल नहीं है. साथ ही धन के प्रतीक के लिए छोटे-छोटे सिक्के जरूर बनाए. इसके अलावा आप कम स्पेस में एक तरफ कलश और एक तरफ कमल बनलर बिच में शुभ धनतेरस लिखकर और उसे दीयों से सजाकर भी छोटा सा लेकिन बेहद सुन्दर रंगोली का डिजाइन बना सकते हैं.
ब्राइट कलर का प्रयोग
रंगोली का अर्थ ही होता है जिसमे अलग अलग रंगों को ऐसे उपयोग में लाया जाय की हर रंग अपनी अलग कहानी बयां करें. आप घर में पॉजिटिव एनर्जी के लिए रंगोली में रेड, ब्लू ,पर्पल, येलो, डार्क पिंक, ग्रीन जैसे रंगों का प्रयोग कर सकते हैं. ब्राइट रंगों में बनी ये धनतेरस के लिए रंगोली बेहद ही खूबसूरत लग रही है, इसका पर रंग कुछ कह रहा है. इसका डिजाइन भी आसान है. इसे आप अपने मुख्य द्वार, घर के अंदर हॉल में या फिर आंगन में बना सकते हैं, साथ ही दीयों से भी डेकोरेट कर सकते हैं. इस रंगोली की शेप बिल्कुल हाथ वाले वाले पंखे की तरह है, ऐसे में ये सामान्य रंगोली डिजाइन से बेहद अलग है.
मोर पंख की आकृति वाली रंगोली
मोर पंख और रंगों का रिश्ता तो प्रकृति ने पेहकले ही तय कर दिया है. ऐसे में इस धनतेरस मोर पंख कस डिजाइन की रंगोली बनकर आप भी अपने घर के आंगन को आकर्षक बना सकते हैं. मोर की आकृति वाली ये रंगोली डिजाइन बेहद ही खूबसूरत है. ये रंगोली डिजाइन आपके घर को इस धनतेरस पर डिफरेंट लुक देगी. आपके घर आने वाले मेहमान इस रंगोली को देखकर आपकी तारीफ किए बिना नहीं रहेंगे. हालांकि, इसे बनाने के लिए स्पेस चाहिए और समय भी क्योंकि इसे काफी सफाई से इसे बनाना होगा. 6 से 7 अलग-अलग रंगों से बनी ये रंगोली डिजाइन जरूर ट्राई करें.
कलश वाली रंगोली
दो तरफ छोटे छोटे कलश और बीच में हिंदी या इंग्लिश में लिखा शुभ धनतेरस. ये रंगोली भी आप आसानी से अपने घर, लिफ्ट, बालकनी, लिफ्ट एरिया, घर के आंगन, हॉल आदि में बना सकते हैं. इसमें एक तरफ मटके पर स्वास्तिक चिन्ह बनाया गया है तो दूसरी तरफ कमल का फूल. दिवाली, धनतेरस पर पूजा के समय इनका प्रयोग किया जाता है. रंगोली बनाने के बाद आप दीये या फूलों से भी इसे डेकोरेट कर सकते हैं.
मांडणा चित्रकला है बेहद खास
सदियों से घरों को सजाने के लिए लोग इस कला का उपयोग करते आ रहें हैं. विभिन्न मांगलिक शुभ अवसरों और त्यौहारों पर घर को सजाने के लिए मांडणा जमीन अथवा दीवारों पर चित्रित किया जाता है साथ ही मांडणा बनाते समय यह कामना की जाती है कि जिस जगह भी इसे बनाया जा रहा है, वहां पर खुशियों का आगमन हो. धनतेरस के दिन मांडणे मांडे जाते है, उनमें छह फूल्या, पगल्या जैसे मांडने शामिल होते है. इन कलाकृतियों की खास बात ये होती थी कि इन्हें कितने ही बड़े और छोटे साइज में बनाया जा सकता है. पगल्या का मांडणा खास तौर पर दीपावली पर्व के लिए किया जाता है. यूं तो मूलत: ये मांडणा राजस्थान की लोककला है, इसे विशेष अवसरों पर महिलाएं जमीन अथवा दीवार पर बनाती हैं. मांडणा बनाने के मुख्य रूप से खड़िया (चौक) का घोल और लाल रंग का गेरू का प्रयोग किया जाता है. इसको बनाने के लिए महिलाएं सूती कपड़े, खजूर की लकड़ी की कूची और उंगलियों का प्रयोग करती हैं. ये दिखने में बेहद आकर्षक लगते हैं साथ ही शुभता का प्रतीक भी माने जाते हैं.
अल्पना बनाकर करें दीपावली की शुरुआत
प्राचीन काल में लोगों का विश्वास था कि ये कलात्मक चित्र शहर व गांवों को धन-धान्य से परिपूर्ण रखने में समर्थ होते है और अपने जादुई प्रभाव से संपत्ति को सुरक्षित रखते हैं. इसी दृष्टिकोण से अल्पना कला का धार्मिक और सामाजिक अवसरों पर प्रचलन हुआ करता था. अल्पना के इन्हीं परंपरागत आलेखनों से प्रेरणा लेकर आचार्य अवनींद्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में कला भवन में अन्य चित्रकला के विषयों के साथ-साथ इस कला को भी एक अनिवार्य विषय बनाया. धनतेरस के दिन अल्पना बनाना शुभता का प्रतीक माना जाता है. अल्पना बनाने के लिए लाल और सफ़ेद रंग का प्रयोग किया जाता है.
खबरें और भी हैं...
तिजारा में बच्चों के अपहरण और मर्डर के बाद अजमेर से 3 साल का बच्चा हुआ गायब
जैसलमेर में हिट एंड रन केस, सड़क पर सो रहे मजदूर का मुंह कुचलते हुए निकल गया ट्रक