केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा: राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा नहीं किया जा सकता
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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा: राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा नहीं किया जा सकता

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामला देश से एक पूर्व प्रधानमंत्री की नृशंस हत्या से जुड़ा है जिन्हें विदेशी आतंकी संगठन ने सुनियोजित तरीके से हत्या की गई.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : राजीव गांधी हत्याकांड मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार (10 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने आरोपियों की रिहाई का विरोध किया है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई होती है तो इससे देश के प्रति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत संदेश जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राजीव गांधी की हत्या का केस बेहद संवेदनशील है. कोर्ट में केंद्र की ओर से कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार के हत्याकांड के दोषियों की रिहाई से सहमत नहीं हैं. 

गृह मंत्रालय ने भी सौंपी रिपोर्ट
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामला देश से एक पूर्व प्रधानमंत्री की नृशंस हत्या से जुड़ा है जिन्हें विदेशी आतंकी संगठन ने सुनियोजित तरीके से हत्या की गई. केंद्र ने रिपोर्ट में ये भी कहा कि ये हत्या इस नृंशस तरीके से की गई कि इसके चलते देश में लोकसभा व विधानसभा चुनाव भी टालने पड़े थे.

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बता दें कि राजीव गांधी हत्याकांड में 16 निर्दोष लोग मारे गए थे और कई लोग जख्मी हुए थे. इसमें नौ सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे. केंद्र सरकार ने कहा है कि जिस तरह से महिला मानव बम से ये हत्या की गई उसे ट्रायल कोर्ट ने भी रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इससे सहमत हुए. इन दोषियों के मामले को उच्च स्तर पर न्यायिक व प्रशासनिक स्तर पर देखा गया है. ये फैसला किया गया है कि अगर इस तरह चार विदेशी दोषियों को रिहा किया गया तो इसका अन्य विदेशी कैदियों के मामले पर भी गंभीर असर पड़ेगा. 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार दिया था फैसले का हक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तमिलनाडु सरकार की चिट्ठी पर तीन महीने में फैसला करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि 9 फरवरी 2014 की राज्य सरकार की चिट्ठी पर केंद्र फैसला करें. 

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तमिलनाडु सरकार ने किया था सजा में परिवर्तन
तमिलनाडु सरकार ने सभी सात दोषियों को सजा में छूट देने का निर्णय लिया था. इससे एक दिन पहले 18 फरवरी को शीर्ष अदालत ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था. तमिलनाडु सरकार के फैसले पर 20 फरवरी को शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी थी.

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