गणतंत्र दिवस 2024: यह गणतंत्र दिवस राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (President's Bodyguard regiment) के लिए भी बेहद खास मौका रहा क्योंकि इस आयोजन में शिरकत करते ही 'अंगरक्षक' रेजिमेंट ने 1773 में अपनी स्थापना के बाद से 250 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है.
Trending Photos
President's Bodyguard regiment: देशभर में आज बड़ी धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया गया. कर्तव्य पथ पर कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच इस आज की परेड निकाली गई. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों इस आयोजन के मुख्य अतिथि रहे. भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में जाने के लिए घोड़े द्वारा खींची जाने वाली बग्गी का विकल्प चुनकर 250 साल पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित किया. इसी के साथ आज के आयोजन के आनंद की एक और यूएसपी यानी खासियत की बात करें तो राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाली 'प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड' यूनिट की सेवा के 250 साल पूरे हो गए.
परंपरा के 250 साल
जैसे ही राष्ट्रपति मुर्मू और उनके फ्रांसीसी समकक्ष मैक्रों ‘पारंपरिक बग्गी’ में कर्तव्य पथ पर पहुंचे. तो एक और परंपरा पुनर्जीवित हो गई क्योंकि ये प्रथा करीब 40 साल पहले बंद कर दी गई थी. राष्ट्रपति मुर्मू को फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों के साथ 'पारंपरिक बग्गी' में कार्यक्रम में ले जाया गया, उसे 40 साल पहले राष्ट्रपति भवन से हटा दिया गया था. राष्ट्रपति के अंगरक्षक (PBG), आकर्षक लाल वर्दी पहने और घोड़ों पर सवार होकर, बग्गी के साथ चल रहे थे. इसके साथ ही जश्न में ऐतिहासिक भव्यता का स्पर्श जुड़ गया, इस तरह गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में चार चांद लग गए.
किसे मिलती है प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड यूनिट में जगह?
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड (PBG) यानी 'राष्ट्रपति के अंगरक्षक' एक एलीट घुड़सवारों की पलटन है. इनका मुख्य काम भारत के राष्ट्रपति को एस्कॉर्ट करना यानी उनकी सुरक्षा करना होता है. राष्ट्रपति की सुरक्षा में सिर्फ उनका सेलेक्शन होता है, जिनकी लंबाई 6 फीट या इससे ज्यादा होती है. इस यूनिट में शामिल होने के लिए 6 फीट हाइट होना जरूरी है. इस यूनिट में सिर्फ राजपूत, जाट और सिख जाट सैनिकों का ही सेलेक्शन होता है. इस यूनिट की स्थापना के समय उसमें मात्र 50 जवान थे.
प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड का दिलचस्प इतिहास
यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है. 250 साल पहले इसका गठन अंग्रेजों के जमाने में ब्रिटिश शासन के तत्कालीन गवर्नर-जनरल के निजी अंगरक्षकों के तौर पर हुआ था. जनरल वॉरेन हेस्टिंगन ने 1773 में अपनी सुरक्षा करने के लिए यूपी के बनारस में घुड़सवारों की एक यूनिट बनाई थी. इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश फौज में कोई घुड़सवार दस्ता नहीं था. हालांकि ब्रिटेन का शाही राजपरिवार बग्गी से चलता था. हेस्टिंग्स ने मुगल हॉर्स और स्थानीय सरदारों द्वारा बनाई एक यूनिट से करीब 50 सैनिकों को चुना था. इस यूनिट का पहला कमांडर कैप्टन स्वीनी टून था. उस दौर में गवर्नर-जनरल की सुरक्षा के लिए बनी इस यूनिट में 1 कप्तान, 2 लेफ्टिनेंट, 4 सार्जेंट, 6 दफादार और 50 सैनिक थे. बाद में इनकी संख्या जरूरत के हिसाब से बढ़ाई गई.