21 साल की रोमा का कमाल, लिफ्टिंग चैंपियनशिप में जीते गोल्ड और सिल्वर मेडल
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21 साल की रोमा का कमाल, लिफ्टिंग चैंपियनशिप में जीते गोल्ड और सिल्वर मेडल

3 साल में रोमा शाह ने रॉ पावर लिफ्टिंग में आठ गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीते हैं.

तीन कैटेगरी में कुल 330 किलो वजन उठाकर उन्होंने बाकी प्रतिद्वंदियों को मात दी है.

सूरत: "मारी छोरी कोई छोरी से कम हे के" गुजरात के शाह परिवार के लिए यह बात एक दम सच साबित हुई, क्योंकि उनकी बेटी रोमा शाह भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी बनी हैं जिन्होंने देश के लिए रशिया के मॉस्को में आयोजित ''वर्ल्ड रो पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप'' में 2 गोल्ड और सिल्वर मेडल जीते हैं. रोमा ने माइनस 10 डिग्री तापमान में तीन कैटेगरी में 330 किलो वजन उठाकर  विश्व के 2000 खिलाड़ियों को आश्चर्यचकित कर दिया है.

सूरत की 21 वर्षीय रोमा शाह ने अपने देश के लिए जो करके दिखाया है वह अब तक किसी देश की महिला खिलाड़ी ने नहीं किया है. रूस के मॉस्को में आयोजित वर्ल्ड रो पावर लिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में लगातार तीसरे वर्ष 2 गोल्ड और सिल्वर मैडल जित कर रोमा ने हैट्रिक मारी है. तीन साल में रोमा ने रो पावर लिफ्टिंग में कुल आठ गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीते हैं. इस साल दुनिया के विविध 20 देशों में से 2000 से अधिक कॉम्पिटिटर्स ने इस चैंपियनशिप में भाग लिया था उनके बीच रोमा का प्रदर्शन तारीफ के काबिल रहा. तीन कैटेगरी में कुल 330 किलो वजन उठाकर उन्होंने बाकी प्रतिद्वंदियों को मात दी है.

विश्व की सबसे बड़ी चैंपियनशिप
महज तीन वर्ष में खूब मेहनत कर रोमा ने देश के लिए यह करके दिखाया है जो आज तक किसी महिला खिलाड़ी ने नहीं किया है. इस चैंपियनशिप में भाग लेने वाली रोमा एक मात्रा महिला खिलाड़ी थीं. इस चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए ख़ास मेहनत की जरूरत होती है. रोमा के कोच यज़द भेंसाणिया ने रोमा को बेहद मेहनत करवाई थी. रोमा के कोच के मुताबिक, यह चैंपियनशिप विश्व की सबसे बड़ी चैंपियनशिप है.

माइनस 10 डिग्री तापमान
इसमें भाग लेने के लिए महिलाओं को बेहद मेहनत करनी पड़ती है. अनेक चीज़ों में महिलाएं पुरुषों से अलग हैं. मॉस्को में माइनस 10 डिग्री तापमान था और उस समय रोमा का वजन एक किलो बढ़ गया था, जिसे गिनती के घंटों में कम किया गया था. साथ ही कार्डियाक थेरापी भी दी गई थी.

रोमा शाकाहारी हैं
वैष्णव परिवार से आने के कारण रोमा शाकाहारी हैं. लेकिन देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने की इच्छा देख रोमा की माता दीपा शाह ने उसे हर एक तरीके से मदद देने का फैसला लिया और मांसाहारी भोजन खाने की अनुमति दी. माता-पिता उसका खूब ख्याल रखते हैं.

जिम में वजन काम करने जाती थीं
दीपा शाह ने बताया कि तीन साल पहले वह सिर्फ जिम में वजन काम करने गई थीं. लेकिन उसकी जिज्ञासा देखकर हमने रोमा को सपोर्ट किया और आज ख़ुशी है कि उसने देश के लिए गोल्ड मेडल जीता है.

देश का नाम रोशन किया
भारत में 30 से 40 डिग्री तापमान में रहने वाली रोमा मॉस्को में माइनस 10 डिग्री में यह सिद्धि प्राप्त की है जो आज तक किसी ने भी प्राप्त नहीं की है. सूरत की रोमा ने देश का नाम रोशन किया है और हर एक बेटी के लिए प्रेरणा बनी हैं.

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