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मुंबई: मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Bombing Case) के एक गवाह ने अदालत में दावा किया है कि आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) ने उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चार नेताओं के नाम लेने के लिए मजबूर किया था. इस गवाह का बयान महाराष्ट्र एटीएस ने दर्ज किया था. एटीएस ने उसका बयान उस वक्त दर्ज किया था, जब वह मामले की जांच कर रहा था. एनआईए ने मामले की जांच की जिम्मेदारी बाद में संभाल ली थी. गवाह ने मंगलवार को विशेष एनआईए अदालत में गवाही दी.
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Param Bir Singh) उस वक्त एटीएस के अतिरिक्त आयुक्त थे, जब एटीएस ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की जांच की थी. परमबीर सिंह अभी जबरन वसूली के कई मामलों का सामना कर रहे हैं और धन की उगाही करने व अन्य मामलों में परम बीर सिंह को इसी महीने निलंबित कर दिया गया था. गवाह ने अपनी गवाही के दौरान अदालत को बताया कि एटीएस के तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी परमबीर सिंह और एक अन्य अधिकारी ने उसे उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के चार नेताओं का नाम लेने को कहा था.
साल 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले (Malegaon Blast) में गवाह का बयान आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (RSS Leader Indresh Kumar) ने आरोप लगाया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के कार्यकाल के दौरान उन्हें तथाकथित 'भगवा आतंकवाद' के झूठे मामलों में फंसाने के लिए गंदी राजनीतिक साजिश रची गई थी.
इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने भाजपा और आरएसएस नेताओं के चरित्र हनन के लिए कांग्रेस नेताओं-पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद से माफीनामे की मांग की.
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने एक ऑडियो संदेश में कहा, 'इसने (गवाह के बयान ने) साबित कर दिया है कि उस समय के कथित भगवा आतंकवाद के सभी (दर्ज) मामले कांग्रेस द्वारा अपनी गंदी राजनीति के तहत रची गई साजिश थी.' इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने तथाकथित भगवा आतंकी मामलों में भाजपा और आरएसएस के नेताओं को घसीटने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन किसी भी प्राथमिकी में हमारे नाम नहीं जोड़ सकी, क्योंकि उनके पास कोई सबूत नहीं था. उन्होंने कहा, 'मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री), कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पी चिदंबरम, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, सलमान (खुर्शीद), दिग्विजय सिंह- इन सभी को इतना बड़ा पाप और अपराध करने के लिए माफी मांगनी चाहिए.'
मामले में अब तक करीब 220 गवाहों का परीक्षण किया गया है, जिनमें से 15 मुकर गए हैं. मुंबई से करीब 200 किमी दूर मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को हुए विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से अधिक घायल हो गए थे. मामले में आरोपी लोक सभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहीकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी जमानत पर जेल से बाहर हैं.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)
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