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नई दिल्ली: आज भारत की राजधानी दिल्ली में एक बहुत ही खास मेहमान आया हुआ है और वो हैं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन. व्लादिमिरि पुतिन भारत की 6 घंटे की एक्सप्रेस यात्रा पर हैं और वो अपने साथ रूस के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को भी लेकर आए हैं. रूस, भारत का बहुत पुराना पार्टनर है और मोदी और पुतिन की दोस्ती के चर्चे भी दुनिया सुन चुकी है. लेकिन आज 6 घंटे की अपनी पावर पैक्ट यात्रा के जरिए पुतिन ने दुनिया को बहुत बड़े संदेश दिए हैं जिनके बारे में आपको जानना चाहिए.
पुतिन ने आज यानी 6 दिसंबर को रूस की राजधानी मास्को से भारत के लिए उड़ान भरी जो 6 घंटे की थी. पुतिन भारत में 6 घंटे तक रुके, और फिर 6 घंटे का सफर करके वापस अपने देश लौट जाएंगे. इसलिए आज हम आपको सिर्फ 6 Points में भारत और रूस की दोस्ती के इस नए अध्याय के बारे में बताएंगे. क्योंकि जब से कोरोनाआया है तब से ये व्लादिमिर पुतिन का सिर्फ दूसरा विदेश दौरा है.
इससे पहले वो सिर्फ इसी साल जून में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से Switzerland के Geneva में मिले थे. जैसे ही वो भारत से वापस मास्को लौटेंगे उनकी अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन के साथ एक Virtual Meeting होगी. यानी इस दौरे में कुछ तो ऐसा है जो पुतिन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और जिसे वो सिर्फ 6 घंटे के अपने भारत दौरे में हासिल करना चाहते हैं.
आज शाम पौने 6 बजे व्लादिमिर पुतिन का विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरा और इसके सिर्फ 15 मिनट के बाद पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मुलाकात शुरू हो गई. इसके बाद दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई. व्लादिमिर पुतिन Russian में बात कर रहे थे जबकि प्रधानमंत्री मोदी हिंदी में अपनी बात रख रहे थे और अनुवादक इस बातचीत का Translation कर रहे थे.
जब दुनिया के दो बड़े नेता आपस में बात करते हैं तो लोग अक्सर ये सोचते हैं कि पता नहीं इन लोगों के बीच कैसी बातचीत होती होगी. क्या होता होगा? इसी बातचीत में पुतिन ने कहा कि भारत, रूस का एक बड़ा और पुराना सहयोगी है और भारत एक बड़ी शक्ति है.
इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए और कई मुद्दों पर सहमति बनी. उदाहरण के लिए दोनों देशों के बीच अगले 10 वर्षों के लिए कई रक्षा समझौते हुए हैं. दोनों देशों के बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर भी चर्चा हुई. दोनों देशों ने आपसी व्यापार बढ़ाने पर भी बात की, इसके तहत भारत के चेन्नई और रूस के vladivostok शहर के बीच एक व्यापारिक कॉरिडोर बनेगा, इसके अलावा दोनों देशों ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा की.
जब से व्लादिमिर पुतिन रूस के राष्ट्रपति बने हैं तब से वो नौवीं बार भारत आए हैं और अब तक पुतिन और नरेंद्र मोदी के बीच करीब 19 मुलाकातें हो चुकी हैं. लेकिन उनका आज का भारत दौरा बहुत खास है.
6 दिसंबर के दिन व्लादिमिर पुतिन सिर्फ 6 घंटे के लिए भारत दौरे पर आए हैं. इस दौरान सबकी नजर भारत और रूस के बीच हुई S 400 डिफेंस सिस्टम और AK 203 Assault Riflles की डील पर है. लेकिन आप 6 Points में समझिए कि ये दौरा इन Deals से भी ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है. क्योंकि दुनिया के एक शक्तिशाली देश का शक्तिशाली राष्ट्रपति सिर्फ Defence Deal करने 6 घंटे के लिए भारत नहीं आएगा.
पहला Point ये है कि मंगलवार को व्लादिमिर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन के बीच वीडियो कॉल पर बातचीत होगी, जिसमें यूक्रेन के मुद्दे पर चर्चा हो सकती है, संभव है कि अगर आने वाले दिनों में यूक्रेन को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कोई वोटिंग होगी तो रूस चाहेगा कि भारत अगर उसके साथ खड़ा ना भी हो तो कम से कम उसका विरोध तो ना करे.
दूसरा प्वाइंट ये है कि यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और यूक्रेन के सैनिक एक दूसरे के सामने खड़े हैं. रूस ने अपने 75 हजार सैनिक यूक्रेन के साथ सीमा पर तैनात कर दिए हैं, यूक्रेन के भी लाखों सैनिक सीमा पर तैनात हैं. युद्ध की स्थिति के बीच पुतिन के भारत आने का एक मकसद ये भी हो सकता है कि अगर यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोप और अमेरिका जैसे देशों ने रूस के खिलाफ कोई कार्रवाई की तो वो कम से कम एशिया में भारत जैसी शक्ति के साथ अपने संबंध सामान्य रख सके.
तीसरा प्वाइंट ये है कि इस समय रूस में कोविड 19 के मामले एक बार फिर बहुत तेज़ी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में पुतिन अपने देश को छोड़कर भारत आए हैं यानी ये दौरा सिर्फ डिफेंस डील तक सीमित नहीं है. पुतिन के मन में कोई तो ऐसी चिंता है जिसमें वो भारत को अपने साथ रखना चाहते हैं.
चौथा प्वाइंट ये है कि शायद पुतिन, चीन और भारत के संबंधों में आई कड़वाहट को कम करने की कोशिश करना चाहते हैं. क्योंकि अब चीन और रूस एक तरफ हैं जबकि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश एक तरफ हैं. रूस चाहता है कि भारत और चीन के संबंध सामान्य हो जाएं ताकि टकराव की स्थिति में भारत सीधे अमेरिका जैसे देशों का साथ ना दे.
पांचवा प्वाइंट अगर ये सब सही है तो इससे साबित होता है कि आज की Geo Politics में भारत की भूमिका कितनी अहम हो चुकी है. रूस के साथ डिफेंस सिस्टम S 400 की डील के बावजूद अमेरिका खुलकर भारत का विरोध नहीं कर पा रहा और रूस भी किसी भी कीमत पर भारत को अपने साथ रखना चाहता है. भारत भी साफ कर चुका है कि वो इस डील पर बहुत आगे बढ़ चुका है और अमेरिका के दबाव में नहीं आने वाला.
छठा और आखिरी प्वाइंट ये है कि रूस जानता है कि भारत सभी देशों को साधकर चलने में एक्सपर्ट है, उसकी अमेरिका से भी दोस्ती है और रूस से भी गहरे संबंध हैं. इसीलिए जब भारत Quad का सदस्य बना तब भी चीन ने इसका विरोध नहीं किया, साथ ही रूस अब अफगानिस्तान में भी अपने लिए एक बड़ी भूमिका देख रहा है और रूस जानता है कि अगर उसे काबुल को काबू में रखना है तो ये काम वो भारत को साथ लिए बगैर नहीं कर सकता.
इसके अलावा रूस ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की डिलिवरी शुरू कर दी है. ये एक Surface to Air Missile System है. यानी सतह से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे आधुनिक और प्रभावी मिसाइल सिस्टम है.
अगर भारत इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम को कश्मीर में Line of Control पर तैनात कर देता है तो पाकिस्तान चाह कर भी कभी कोई हवाई हमला नहीं कर पाएगा. अगर उसने हमला किया भी तो ये S-400 एक बार में उसके 32 विमानों को मार कर नीचे गिरा देगा. इसलिए आप ये कह सकते हैं कि भारतीय सेना को S-400 के रूप में एक ऐसी मारक क्षमता मिली है, जिसका जवाब अब तक कोई देश नहीं ढूंढ पाया है. लेकिन अब भारत इस Defence Sytem के Latest Version यानी S-500 को भी रूस से खरीदना चाहता है, जो S-400 से भी ज्यादा Advance और घातक है.
इसके अलावा आज भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सेर्गे शोइगु (Sergey Shoigu) ने 6 लाख 71 हजार AK-203 Assault Rifles की डील पर हस्ताक्षर किए, ये डील 5 हजार करोड़ रुपये की है और इनमें से सभी Rifles भारत में ही तैयार होंगी. इसी मीटिंग में राजनाथ सिंह ने लद्दाख में भारत और चीन के सीमा विवाद का भी जिक्र किया और कहा कि भारत को ऐसे सहयोगियों की जरूरत है जो भारत के प्रति संवेदशनशील हों और भारत की जरूरतों को समझते हों, हालांकि राजनाथ सिंह ने ये बात बिना चीन का नाम लिए कही लेकिन उनकी बातों से साफ था कि वो किस देश की बात कर रहे हैं.
आज ही भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गे लैवरोव (Sergey Lavrov) ने भी मुलाकात की. ये Diplomacy का 2+2 Format है जिसमें भारत के दो बड़े मंत्री दूसरे देशों में वही विभाग संभालने वाले मंत्रियों से मिलते हैं.
भारत और रूस की ये दोस्ती आज की नहीं बल्कि दशकों पुरानी है और इसकी शुरुआत भारत की आजादी के साथ ही हो गई थी. जब वर्ष 1955 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 16 दिन की यात्रा पर रूस पहुंचे थे. तब मस्को और रूस के दूसरे शहरों की सड़कों पर हजारों लोग उनके स्वागत के लिए जमा हो गए थे और उनका जबरदस्त स्वागत किया गया था.
इसके बाद जब 1971 का युद्ध शुरू होने को था तब भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री Soviet Union दौरे पर गई और उन्होंने वहां के राष्ट्रपति निकिता खुर्शचेव के साथ एक डील पर साइन किए जिसका नाम था Indo Soviet Treaty Of Peace, Friendship and Cooperation. इस समझौते के तहत ये तय हुआ कि अगर कोई देश भारत पर हमला करेगा तो रूस उसे अपने पर किया गया हमला मानेगा और अगर कोई देश रूस पर हमला करेगा तो भारत उसे खुद पर किया गया हमला मानेगा.
इसके बाद जब 1971 का युद्ध शुरु हुआ तो अमेरिका समेत तमाम देश पाकिस्तान के पक्ष में खड़े हो गए, इनमें चीन,टर्की, जॉर्डन और मध्य पूर्व के कई देश शामिल थे. इनमें से किसी ने पाकिस्तान को हथियारों से मदद दी, किसी ने अपने लड़ाकू विमान पाकिस्तान की मदद के लिए भेजे तो अमेरिका ने अपना सबसे बड़ा समुद्री जंगी बेड़ा Seventh Fleet बंगाल की खाड़ी की तरफ रवाना कर दिया. भारत चारों तरफ से घिर चुका था. लेकिन तभी समझौते के मुताबिक रूस, भारत की मदद के लिए आगे आया और उसनें अपने 16 जंगी जहाज और एक परमाणु पनडुब्बी हिंद महासागर में उतार दी.
जब अमेरिकी नौसैनिकों ने रूस के जंगी बेड़े को देखा तो उनकी हालत खराब हो गई, क्योंकि अगर वो आगे बढ़ते तो रूस उन पर परमाणु हमला भी कर सकता. इसके बाद अमेरिकी नौसेना पीछे हट गई और रूस की मदद से भारत ने सिर्फ 13 दिन चले इस युद्ध में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए और एक नए देश का जन्म हुआ जिसे आप बांग्लादेश के नाम से जानते हैं. इसके अलावा इसी युद्ध के दौरान रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तीन बार अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करके भारत पर प्रतिबंध नहीं लगने दिए थे.
आज पूरा देश 1971 के युद्ध के 50 साल पूरे होने और उस युद्ध में भारत की जीत का जश्न मना रहा है. लेकिन उस समय रूस ने भारत के लिए जो किया वो दोनों देशों की दोस्ती की सबसे बड़ी मिसाल है. हाल ही के वर्षों में भी जब जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस पहुंचे तो उनके और व्लादिमर पुतिन के बीच ऐसी ही मजबूत दोस्ती दिखाई दी.
लेकिन रूस और भारत की संस्कृति भी दोनों देशों की मजबूत दोस्ती का आधार है. रूस में आज भी भारत के अभिनेता राजकपूर के Fans की संख्या हज़ारों में हैं. आज भी रूस में उनकी फिल्म श्री 420 का गाना मेरा जूता है जापानी...बहुत लोकप्रिय है. राज कपूर की लोकप्रियता के बाद वहां भारत के ही एक और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की लोकप्रियता भी चरम पर पहुंच गई और आज दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता प्रभास रूस में बहुत लोकप्रिय हैं.
रूस में Hinduism सबसे तेजी से बढ़ते धर्मों में एक है और वहां भगवान कृष्ण को मानने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है. रूस के लोग ना सिर्फ भारत की संस्कृति को बहुत प्यार करते हैं बल्कि इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते हैं.