बाहर जाने की नहीं थी इजाजत, क्यों शुरुआत के 11 दिन थे मुश्किल, संजय सिंह ने बताया तिहाड़ में कैसे बीते 6 महीने?
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बाहर जाने की नहीं थी इजाजत, क्यों शुरुआत के 11 दिन थे मुश्किल, संजय सिंह ने बताया तिहाड़ में कैसे बीते 6 महीने?

Tihar Jail: तिहाड़ से निकलने के बाद संजय सिंह ने अपने अनुभव शेयर किए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनके शुरुआती दिन बेहद कठिन रहे. हालांकि अब उन्होंने यह जरूर कहा है कि उनका मनोबल काफी बढ़ा हुआ है और इससे उनकी आगे की लड़ाई मजबूत होगी.

बाहर जाने की नहीं थी इजाजत, क्यों शुरुआत के 11 दिन थे मुश्किल, संजय सिंह ने बताया तिहाड़ में कैसे बीते 6 महीने?

Sanjay Singh Tihar Time: आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह करीब छह महीने बाद जेल से निकलकर आए हैं तो उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा हुआ है. अरविंद केजरीवाल जेल में हैं, ऐसे में संजय सिंह के ऊपर काफी दारोमदार बताया जा रहा है. इसी बीच संजय सिंह ने जेल के अपने अनुभवों के बारे में बताया है. संजय सिंह ने शनिवार को कहा कि तिहाड़ जेल में छह महीने रहने के दौरान उन्होंने दृढ़ता और साहस से काम लिया और उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों से भी कहा था कि वे आंसू ना बहाएं. 

संजय सिंह ने कहा कि शुरुआती 11 दिन छोटी सी कोठरी में काफी मुश्किल थे, बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. मैं पुलिस सुरक्षा में था. इसके बाद, मैंने जेल प्रशासन से बात की और मांग की कि मुझे एक आम कैदी के रूप में अधिकार दिए जाएं. उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा के तहत निश्चित समय के लिए कोठरी से बाहर जाने की अनुमति दी गई. उन्होंने कहा कि मुझे निश्चित समय के लिए संगीत कक्ष, बैडमिंटन कोर्ट में जाने की अनुमति देने का फैसला किया गया. यहां तक कि भोजन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान दिया गया.

समय का सदुपयोग किताबें पढ़ने में..
उन्होंने कहा कि वहां मोबाइल फोन नहीं था, इसलिए उन्होंने जेल में समय का सदुपयोग किताबें पढ़ने में किया. संजय ने यह भी कहा कि ‘मैंने उन छह महीनों में नेल्सन मंडेला, महात्मा गांधी, डॉ लोहिया, भगत सिंह की पुस्तकें पढ़ीं. मैंने छह महीने में उतना पढ़ा जितना मैं छह साल में नहीं पढ़ पाया था. तिहाड़ में छह महीने बिताने के बाद उन्होंने कहा कि उनका मनोबल काफी बढ़ा हुआ है और इससे उनकी आगे की लड़ाई मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि या तो आप घर बैठें या फिर लड़ें. हम लड़ेंगे.

वीडियो कॉन्फ्रेंस को रिकॉर्ड किया जाता..
न्यूज एजेंसी से बातचीत में संजय ने यह भी बताया कि उन्होंने साहस और दृढ़ता से काम लिया और यहां तक ​​कि अपने परिवार को मजबूत रहने के लिए भी कहा. किसी भी परिवार के लिए यह एक कठिन स्थिति होती है अगर वे ऐसी परिस्थितियों से जूझ रहे होते हैं तो. लेकिन सवाल यह है कि हम मजबूती से कैसे खड़े रह सकते हैं. मुझे पता था कि कैदियों और उनके परिवारों के बीच होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंस को रिकॉर्ड किया जाता है. उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार को जेल के दिलचस्प किस्सों या किसी मजेदार घटना से खुश करने की कोशिश करते थे.

जेल नंबर 2, सेल नंबर 28..
आप नेता ने यह भी बताया कि जेल में ज्यादातर समय के लिए, उन्हें जेल नंबर दो में सेल नंबर 28 में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें जेल नंबर पांच में स्थानांतरित कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि ये अजीब बात थी. मुझे जेल नंबर दो से जेल नंबर पांच में स्थानांतरित कर दिया गया. मनीष सिसोदिया अलग जेल में हैं और सत्येन्द्र जैन अलग जेल में हैं. मुझे नहीं पता कि वे हमें इतना बड़ा आरोपी क्यों मानते हैं कि हम सभी को अलग-अलग जेलों में रखा गया. मैं चौबीसों घंटे सीसीटीवी की निगरानी में था.

बड़े नेता अभी भी जेल में.. 
बता दें कि आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य सिंह को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में जमानत दे दी थी. लगभग छह महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहने के बाद वह बुधवार को तिहाड़ जेल से बाहर आए थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन अभी इस समय तिहाड़ जेल में ही बंद हैं.

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