Vice President Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सदन में कहा था कि कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ‘‘बेदाग साख’’ है और यह ‘‘राष्ट्रीय सेवा’’ कर रहा है. इसके जवाब में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर अपनी दलीलों में देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया.
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Congress Attacks On RSS: केंद्र में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सराहना किए जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को दावा किया कि आरएसएस देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के लिए उसी तरह एक ‘अभिशाप’ था, जैसा कि यह किसी दूसरे भारतीय राष्ट्रवादी के लिए है. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को सदन में कहा था कि कि आरएसएस की ‘‘बेदाग साख’’ है और यह ‘‘राष्ट्रीय सेवा’’ कर रहा है. उन्होंने समाजवादी पार्टी के एक सांसद की टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई थी.
आरएसएस को क्लीन चिट दी जा रही है और उसकी प्रशंसा हो रही है
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह आरोप भी लगाया कि आरएसएस का भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुक़सान पहुंचाने का एक लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘हाल के दिनों में जिस तरह से आरएसएस को क्लीन चिट दी जा रही है और उसकी प्रशंसा हो रही है, उससे अगर कोई सबसे अधिक भयभीत होते, तो वह भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल होते. गृह मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के कई दस्तावेज इसके हिंसक, संविधान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी चरित्र को लेकर उनके गहरे भय को प्रकट करते हैं.’’
The man who would have been horrified by the clean chits and certificates of appreciation being awarded in recent days to the RSS would have been none other than the Iron Man of India, Sardar Vallabhbhai Patel himself.
Multiple documents from his tenure as the Home Minister… pic.twitter.com/J2KNuPcfhd
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 1, 2024
आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए गृह मंत्रालय की दलीलें क्या थीं
रमेश ने आगे लिखा, ‘‘4 फरवरी, 1948 को सरदार पटेल के तहत गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में, केंद्र सरकार ने कहा कि वह "हमारे देश में काम कर रही नफ़रत और हिंसा की ताकतों को जड़ से खत्म करने और राष्ट्र की स्वतंत्रता को ख़तरे में डालने और अंधकार में धकेलने के लिए" आरएसएस पर प्रतिबंध लगा रही है. संघ की गतिविधियों से प्रायोजित और प्रेरित हिंसा ने कई पीड़ितों की जान ले ली है. इस कड़ी में सबसे ताजा और मूल्यवान नाम स्वयं गांधीजी का है.’’
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सरदार पटेल ने सितंबर 1948 में एमएस गोलवलकर को पत्र भी लिखा था
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के मुताबिक, सरदार पटेल ने सितंबर 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने के अपने फ़ैसले के बारे में बताते हुए एम.एस. गोलवलकर को भी लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “उनके (आरएसएस के) सभी भाषण सांप्रदायिकता के जहर से भरे हुए थे… जिसके अंतिम परिणाम के रूप में, देश को गांधीजी के अमूल्य जीवन का बलिदान भुगतना पड़ा. महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने ख़ुशी व्यक्त की और मिठाइयां बांटीं.’’
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