चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह से यह भी कहा कि एम्स और सरकार को नशीले पदार्थ की समस्या से निपटने की योजना बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा, क्योंकि यह मामला ‘राष्ट्रीय महत्व’ का है.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों सहित समाज में नशीले पदार्थों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय कार्ययोजना तैयार करने को कहा है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह से यह भी कहा कि एम्स और सरकार को नशीले पदार्थ की समस्या से निपटने की योजना बनाने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा, क्योंकि यह मामला ‘राष्ट्रीय महत्व’ का है.
पीठ ने कहा, ‘एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह की दलील सुनने के बाद, हम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अधिकारियों को उच्च अधिकार संपन्न समिति की रिपोर्ट को सात सितंबर या उससे पहले पूरी करने का निर्देश देते हैं.’
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उसने कहा, ‘यह स्पष्ट कर दिया गया है कि इस पर अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा. एम्स के सक्षम अधिकारियों को यह ध्यान में रखना होगा कि यह नीति बनाना राष्ट्र के हित में है और इसमें किसी भी तरह की देरी बर्दाशत नहीं की जाएगी.’ मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाय चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. पीठ ने यह व्यवस्था तब दी जब के जगदीश्वर रेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता श्रवण कुमार ने आरोप लगाया कि गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की अपील पर उच्चतम न्यायालय की ओर से साल 2016 में दिए गए फैसले का पालन नहीं किया जा रहा है.