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नई दिल्ली: बीते गुरुवार से ही उत्तर प्रदेश में सियासी बिगुल बज चुका है. विधान सभा चुनाव का पहला चरण 60.17% वोटिंग के साथ पूरा हुआ. इसके बाद अब सभी की निगाहें दूसरे चरण की सीटों की ओर टिकी हुई हैं. जहां पार्टियों की परीक्षा पश्चिमी यूपी और रुहेलखंड इलाके की मुस्लिम बेल्ट वाली सीटों पर है. इस चरण में कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 40-50% है.
दूसरे चरण में 9 जिलों की 55 सीटों पर 586 उम्मीदवार चुनावी रण में हैं और वोटिंग 14 फरवरी यानी सोमवार को होनी है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये चरण बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल माना जा रहा है. इसकी वजह है मुस्लिम वोटरों की ज्यादा तादाद.
दूसरे चरण में इन 55 सीटों पर मुस्लिम वोटर काफी मायने रखते हैं. मुसलमानों और जाटों के अलावा लोधी और कुर्मी मतदाता किसी भी प्रत्याशी का खेल बना या बिगाड़ सकते हैं. तो वहीं मौर्य-सैनी और दलित वोटर किंगमेकर की भूमिका में हैं. इन इलाकों में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. 2017 के विधान सभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस और 2019 के लोक सभा चुनाव में बसपा-रालोद के साथ गठबंधन किया था. इन दोनों चुनाव में गठबंधन को इन 55 सीटों पर फायदा मिला था.
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बीते चुनाव यानी कि साल 2017 की बात करें तो उस चुनाव में इन 55 सीटों पर बीजेपी के हिस्से 38, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) को 15 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. वहीं, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) खाता तक नहीं खोल पाई थी.
जिन 9 जिलों की 55 सीटों पर मतदान होना है, उनमें सहारनपुर (7 सीट), मुरादाबाद (6), रामपुर (5), अमरोहा (4), शाहजहांपुर (6), बिजनौर (8), संभल (4), बदायूं (6) और बरेली (9) शामिल हैं.
मुरादाबाद की 6 में 5 सीटों पर 50-55% तक मुस्लिम मतदाता
बिजनौर की 8 सीटों पर 40 से 50% मुस्लिम वोटर
रामपुर की 5 सीटों पर 50% मुस्लिम वोटर
संभल की 4 सीटों पर यादव और मुस्लिम वोट 60% से ज्यादा
बरेली में 8 सीटों पर 40% तक मुस्लिम मतदाता
अमरोहा की 4 सीटों पर 50% मुस्लिम वोटर
बदायूं की 6 सीटों में 40 से 45% तक मुस्लिम वोटर
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वहीं, साल 2019 में हुए आम चुनाव के नतीजों पर नजर डाली जाए तो इस क्षेत्र की कुल 11 सीटों पर सपा-बसपा गठबंधन के पाले में 7 सीटें गई थीं. इनमें बसपा के खाते में सहारनपुर, नगीना, बिजनौर व अमरोहा तो सपा के पास मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीट गई थीं, जबकि बीजेपी को 4 सीटें मिली थीं.
चार अलग-अलग पार्टियों से 55 सीटों पर 77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में हैं. सपा से 18, बसपा से 23, कांग्रेस से 21 और एआईएमआईएम से 15 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि पिछली बार की तरह चार पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवारों के कारण वोटों में बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा.
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