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बरेली: तंजीम उलेमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि अगर शाहरुख खान (Shahrukh Khan) अपने बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) को महंगे स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाने के बजाय मदरसे में पढ़ाए होते तो उन्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता.' मौलाना का ये बयान ड्रग्स केस में आर्यन की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद रविवार को आया.
उन्होंने आगे कहा, 'अभिनेता शाहरुख खान के बेटे यदि मदरसे में शिक्षा लेते तो उसे इस्लाम के नियमों के बारे में पता होता और यह दिन नहीं देखना पड़ता. इस धर्म में किसी भी तरह का नशा करना प्रतिबंधित है. फिल्म जगत के लोग इस्लाम के आदेशों से वाकिफ नहीं हैं. इस्लाम में नशा करना हराम है, और यह बात मदरसे में पढ़ाई और समझाई भी जाती है.'
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मौलाना ने कहा, 'धर्म में यह भी कहा गया है कि अगर बच्चा गलत हरकतों में पड़ जाए तो मां-बाप उसे प्यार से समझाकर सही रास्ते पर लाने का प्रयास करें. शाहरुख खान यदि मदरसे में कुछ पढ़े होते तो उन्हें इसका अहसास होता.' उन्होंने जोर दिया, 'भले ही कुछ दिन, मगर धार्मिक शिक्षा भी ग्रहण करनी चाहिए. शाहरुख खान को मदरसा नहीं मिला तो घर के पास किसी मस्जिद के इमाम से धार्मिक शिक्षा ले लेते. उन्हें अपने बेटे को भी इस्लाम के नियमों से रूबरू कराना चाहिए था.'
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गौरतलब है कि 23 वर्षीय आर्यन अपने साथियों के साथ इस वक्त मुंबई की आर्थर रोड जेल में कैद हैं. जेल में आर्यन की पहचान कैदी नंबर N956 से है. अब आर्यन खान और अन्य कैदियों को बैरक नंबर 1 के क्वारनटीन बैरक से निकालकर सामान्य कैदियों के बीच शिफ्ट कर दिया है. सभी की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही जेल प्रशासन ने ये फैसला लिया. यानी अब आर्यन को बाहर या घर का खाना खाने की अनुमति नहीं होगी. हालांकि अभी भी वे घर से भेजे गए कपड़ों को इस्तेमाल कर सकेंगे.
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