Sharad Pawar: महाराष्ट्र में इस वक्त पवार चाचा-भतीजे की सियासी जंग सुर्खियों में छाई हुई है. अजित पवार गुट को EC द्वारा असली एनसीपी घोषित किए जाने के बाद शरद गुट को भी नया नाम मिल गया है.
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Sharad Pawar: महाराष्ट्र में इस वक्त पवार चाचा-भतीजे की सियासी जंग सुर्खियों में छाई हुई है. अजित पवार गुट को असली एनसीपी घोषित किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने शरद गुट की पार्टी के नए नाम पर भी मुहर लगा दी है. शरद पवार की पार्टी का नाम अब 'NCP शरद चंद्र पवार' होगा. अभी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर फैसला होना बाकी है. शरद पवार के खेमे ने चुनाव आयोग को पार्टी के लिए तीन नाम सुझाए थे.
शरद गुट ने सुझाए थे तीन नाम
चुनाव आयोग ने अजीत पवार के गुट को 'असली' एनसीपी घोषित किया था. जिसके बाद शरद पवार एनसीपी गुट ने बुधवार को चुनाव आयोग को तीन नाम और सिंबल सौंपे. सूत्रों की मानें तो शरद गुट ने पार्टी के लिए बरगद का पेड़ चुनाव चिन्ह और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद चंद्र पवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदराव पवार तीन नाम के ऑप्शन दिए थे.
कई नाम और चिन्ह थे चर्चा में
इससे पहले सूत्रों के हवाले से ही खबर आई थी कि शरद पवार गुट ने पार्टी के लिए शरद पवार कांग्रेस, एमआई राष्ट्रवादी, शरद स्वाभिमानी नाम सुझाए थे. चुनाव चिन्ह के लिए 'चाय का कप', 'सूरजमुखी' और 'उगता सूरज' के ऑप्शन दिए थे.
चुनाव आयोग ने दी थी डेडलाइन
याद दिला दें कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को शरद पवार गुट को पार्टी के लिए नए नाम के ऑप्शन देने के लिए कहा था. चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को बुधवार शाम 4 बजे तक नए नाम का दावा करने को कहा था. आयोग ने कुछ घंटों की समयसीमा इसलिए दी थी क्योंकि महाराष्ट्र से राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 8 फरवरी को जारी होनी है.
चुनाव आयोग के फैसले की आलोचना
पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह हाथ से निकलने के बाद शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र अहवाद ने कहा था कि चुनाव आयोग को अपने फैसले पर शर्मिंदा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अजीत पवार ने अपने चाचा और पार्टी के संस्थापक शरद पवार का राजनीतिक रूप से गला घोंटा है. इसके पीछे केवल अजित पवार हैं. शरद पवार फिर राख से उठेंगे. हमारे पास अभी भी शक्ति है क्योंकि हमारे पास शरद पवार हैं. हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
लोकतंत्र की हत्या...
चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद अजित पवार गुट ने जश्न मनाया और शरद पवार खेमे ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताया था. याद दिला दें कि पार्टी में फूट की कहानी पिछले साल जुलाई में तब शुरू हुई थी जब अजित पवार एनसीपी के अधिकांश विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बन गए थे.