CM की जगह राज्यपाल बना दिया, तब राजीव गांधी ने MP के मुख्यमंत्री को चौंकाया था
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CM की जगह राज्यपाल बना दिया, तब राजीव गांधी ने MP के मुख्यमंत्री को चौंकाया था

Shivraj Singh Chouhan: शिवराज सिंह चौहान को सीएम तो नहीं बनाया गया लेकिन अब उन्हें क्या मिलेगा? पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि उन्हें उनके कद के बराबर काम मिलेगा. कई दिन बीतने के बाद शिवराज के सपोर्टर और भाजपा विरोधी सवाल खड़े कर रहे हैं. हालांकि राजीव गांधी ने भी एक बार एमपी सीएम को चौंका दिया था. 

CM की जगह राज्यपाल बना दिया, तब राजीव गांधी ने MP के मुख्यमंत्री को चौंकाया था

BJP Shivraj Singh Chauhan: 24 घंटे से इस बात की चर्चा बढ़ गई है कि शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली बुलाया गया है तो उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलेगी? MP के पूर्व सीएम के समर्थक सवाल कर रहे हैं कि शिवराज के नेतृत्व में ही भाजपा को एमपी में जीत मिली तो उन्हें फिर से सीएम क्यों नहीं बनाया गया? सवाल पूछने वाले ज्यादार लोग वैचारिक रूप से बीजेपी के विरोधी भी हैं. वे इस फैसले के जरिए बीजेपी के नेतृत्व और निर्णय लेने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं. आज शिवराज बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने वाले हैं. कुछ लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि यह प्रश्न जायज़ भी है क्योंकि बीजेपी के इस फैसले ने मध्य प्रदेश में कई लोगों को हैरान कर दिया है. हालांकि मध्य प्रदेश का इतिहास देखें तो पता चलता है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ. जी हां, कई साल पहले राजीव गांधी ने भी अपने एक फैसले से देश को चौंका दिया था. 

तब अर्जुन सिंह सीएम थे

बात 1985 की है. अर्जुन सिंह एमपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उन्हीं की अगुआई में कांग्रेस ने चुनाव जीता. कांग्रेस को 251 सीटें मिलीं. वह विधायक दल के नेता चुन लिए गए और मंत्रिपरिषद के गठन पर चर्चा के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी से मिलने के लिए दिल्ली आए हुए थे. 

दिल्ली में बदल गया सीन

अचानक दिल्ली में बाजी पलट गई. तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने अर्जुन सिंह को हैरान करते हुए उन्हें पंजाब का राज्यपाल बना कर भेज दिया. उनकी जगह लो-प्रोफाइल नेता रहे मोतीलाल वोरा को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया. उस समय वोरा अर्जुन सिंह की मंत्रिपरिषद में मंत्री बनने की कोशिश कर रहे थे. दूसरी थ्योरी यह पता चली कि अर्जुन सिंह और श्रीनिवास तिवारी के बीच मतभेद काफी बढ़ गए थे और राजीव गांधी ने मामला सुलझाने के लिए अर्जुन सिंह को एमपी से दूर कर दिया. 

आज की तरह जैसे शिवराज को लेकर सवाल हो रहे हैं, अर्जुन सिंह के सपोर्टर भी बोल रहे थे. तब तर्क दिया गया था कि पंजाब में शांति की स्थापना के लिए अर्जुन सिंह का अनुभव आवश्यक था. हालांकि अर्जुन सिंह ने बाद में सक्रिय राजनीति में वापसी की. अब शिवराज सिंह चौहान को लेकर 1985 की वो घटना राजनीति के जानकारों को याद आ रही होगी.

आज दोपहर में शिवराज की पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात होने वाली है. शाम तक पता चल पाएगा कि क्या बात हुई और क्या उन्हें कोई नई जिम्मेदारी दी जा रही है? शिवराज और अर्जुन सिंह के मामले में एक बात ही अलग है कि कई दिन बीतने के बाद भी शिवराज को नया टास्क नहीं मिला है.

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