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नई दिल्ली: दूरदर्शन की उम्र 62 वर्ष हो चुकी है. दूरदर्शन की पहली Signature Tune को देश ने पहली बार वर्ष 1974 में टेलीविजन पर देखा और सुना. आप में से कई लोगों की स्मृति में आज भी इस Signature Tune की यादें ताजा होंगी. दूरदर्शन पर किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत से पहले ये Signature Tune जरूर चलती थी. लेकिन दूरदर्शन के सफर की शुरुआत इससे भी 15 वर्ष पहले 15 सितंबर 1959 को हो गई थी.
जैसे महाभारत काल में हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र के लिए युद्ध भूमि से LIVE प्रसारण संजय ने किया था. यानी संजय धृतराष्ट्र के लिए आंख और कान बने थे. इसी तरह दूरदर्शन भी कई दशक तक देश के लोगों के लिए आंख और कान बना रहा. देश को हर छोटी बड़ी जानकारी दूरदर्शन के जरिए ही मिलती थी. इसलिए दूरदर्शन पिछले 62 वर्षों में भारत में आए सामाजिक बदलाव की कहानी का एक अहम हिस्सा है.
आज के युवाओं के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि Landline फोन से Smartphone तक और Antenna से DTH तक का सफर हमने कैसे तय किया? ये विश्लेषण देखना ना सिर्फ उस वक्त की पीढ़ी के लिए जरूरी है बल्कि आज के युवाओं के लिए भी बेहद जरूरी है, जिनके हाथ में Smartphone है.
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आज मोबाइल फोन के एक क्लिक पर फिल्में और Web Series देखना युवाओं के लिए बहुत आम बात है लेकिन दूरदर्शन के जमाने में कई बार घर की छत पर चढ़कर जब तक Antenna को अलग-अलग दिशाओं में नहीं घुमाया जाता था तब तक Television Set पर तस्वीरें आना शुरू नहीं होती थीं.
नई पीढ़ी को शायद अंदाजा नहीं होगा लेकिन एक ऐसा भी समय था, जब दूरदर्शन पर फिल्म का प्रसारण दर्शकों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं होता था. एक ऐसा समय था, जब दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत Serial देखने के लिए पूरा मोहल्ला किसी पड़ोसी के घर पहुंच जाता था. दूरदर्शन की सिग्नेचर ट्यून को भारत के मशहूर शास्त्रीय संगीतकार पंडित रवि शंकर ने कंपोज किया था.
शुरुआत में दूरदर्शन पर कार्यक्रमों का प्रसारण सप्ताह में तीन दिन आधे-आधे घंटे के लिए ही होता था. देश में दूरदर्शन का नियमित प्रसारण वर्ष 1965 में शुरू हुआ, लेकिन उस समय देश के सिर्फ 7 शहरों में ही दूरदर्शन का प्रसारण होता था. वर्ष 1982 में दूरदर्शन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव आया. टीवी पर Black & White की दुनिया अचानक रंगीन हो गई. इसी वर्ष दूरदर्शन ने रंगीन प्रसारण आरंभ किया.
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वर्ष 1982 में दूरदर्शन ने दिल्ली में हुए एशियाई खेलों का रंगीन प्रसारण किया था और इसी वर्ष से दूरदर्शन का पूरे देश में प्रसारण शुरू हुआ. इसके बाद ही दूरदर्शन ने अपने स्वर्णिम युग में प्रवेश किया. ये वो दौर था जब दूरदर्शन की देश के हर घर में पहचान बनने लगी. उन दिनों Television Set परिवार के एक सदस्य की तरह होता था.
उस समय दूरदर्शन ही एकमात्र चैनल था, जो लोगों को सूचनाएं देने के साथ मनोरंजन भी करता था. 7 जुलाई 1984 को दूरदर्शन पर पहले धारावाहिक 'हम लोग' का प्रसारण शुरू हुआ. ये धारावाहिक Middle Class परिवार की परेशानियों और अपेक्षाओं पर आधारित था. 'हम लोग' धारावाहिक देश में बहुत चर्चित हुआ था. उस वक्त इसके 156 एपिसोड का प्रसारण किया गया था. धारावाहिक में अभिनेता अशोक कुमार सूत्रधार की भूमिका में थे.
'हम लोग' के बाद 'बुनियाद' नाम के धारावाहिक ने दूरदर्शन पर इतिहास रच दिया. मई 1986 में शुरू हुआ ये धारावाहिक देश के विभाजन पर आधारित था, जिसमें एक प्रेम कहानी भी थी. देश के लोगों ने पहली बार टीवी पर विभाजन का दर्द देखा.
इसके बाद 25 जनवरी 1987 को दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण शुरू हुआ. लोग रामायण शुरू होते ही Television Set की आरती उतारने लगते थे. TV पर दिख रहे भगवान राम और सीता की पूजा करने लगते थे. उस वक्त देश में रामायण धारावाहिक का ऐसा जादू चला कि लोग कलाकार अरुण गोविल और दीपिका को राम और सीता मानने लगे.
रामायण के प्रसारण के वक्त रविवार की सुबह सड़कें सूनी हो जाती थीं. आम लोगों के लिए टेलीविजन पर भगवान श्री राम के जीवन को देखना एक नया अनुभव था. वर्ष 1988 में एक और धार्मिक धारावाहिक महाभारत का प्रसारण शुरू हुआ. महाभारत ने भी सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए. तीन वर्षों तक हर रविवार महाभारत का प्रसारण हुआ. 30 वर्ष बाद आज भी धारावाहिक महाभारत के हर किरदार लोगों को याद हैं.
दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का जिक्र हो रहा है तो एक कार्यक्रम की चर्चा जरूरी है. ये कार्यक्रम फिल्मी गीतों पर आधारित था जिसका नाम चित्रहार था. ये ऐसा कार्यक्रम था, जिसका गीतों के शौकीन दर्शकों को हमेशा इंतजार रहता था. दूरदर्शन ने हमेशा परिवार के साथ देखे जा सकने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण किया वहीं आज के धारावाहिकों में परिवार में ही एक खलनायक या खलनायिका होती है. जो दूसरों के खिलाफ साजिशें रचते हैं. आज धारावाहिक अश्लीलता और हिंसा के दृश्यों से भरे होते हैं.
लेकिन हमारे Show DNA के जरिए हमने भी News की दुनिया में एक नई प्रथा शुरू की है. जिसके तहत हमने DNA को एक पारिवारिक News Show बनाया ताकि आप अपने परिवार की हर पीढ़ी के साथ बैठकर खबरों का विश्लेषण देख सकें.
लेकिन दूरदर्शन के साथ एक समस्या भी थी और वो समस्या ये थी कि तब चैनल के नाम पर सिर्फ दूरदर्शन ही हुआ करता था और उस पर सरकारों का प्रभाव था. दूरदर्शन का इस्तेमाल उस समय राजनैतिक हथियार के रूप में किया जाता था. उदाहरण के लिए जब वर्ष 1975 में जय प्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के खिलाफ दिल्ली के राम लीला मैदान में एक रैली की थी. तब लोगों को इस रैली में जाने से रोकने के लिए दूरदर्शन पर 1973 में Release हुई एक मशहूर हिंदी फिल्म दिखाई गई थी जिसका नाम Bobby था.
लेकिन दूरदर्शन के इस एकाधिकार को तोड़ने का काम सबसे पहले Zee TV ने ही किया था. 29 वर्ष पहले 2 अक्टूबर 1992 को Zee TV ने Television के क्षेत्र में कदम रखा था. 13 मार्च 1995 को Zee News की शुरुआत हुई थी. आप कह सकते हैं कि सबसे पहले Zee Group ने ही मनोरंजन और खबरें देखने के अधिकार को लोकतांत्रिक रूप दिया था. इसके बाद ही भारत Private Channels के युग में प्रवेश कर गया.
आज मनोरंजन और न्यूज के क्षेत्र में Zee Group सबसे बड़ी कंपनी है. जो 80 Channels के माध्यम से आप तक सामाजिक सरोकारों के साथ मनोरंजक कार्यक्रम और खबरें पहुंचाता है. Zee Group के Channels 173 देशों में और 19 भाषाओं में प्रसारित होते हैं. जिसे 130 करोड़ से ज्यादा दर्शक देखते हैं.
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