सरकार ने ट्रक पर यातायात नियम के प्रवर्तन के लिए एक आईटी बेस्ड उपयोगी समाधान जारी किया है. इससे ना सिर्फ पुलिस का हस्तक्षेप कम हो जाएगा, बल्कि राजस्व संग्रह भी बढ़ेगा.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central Government) ने बुधवार को कहा कि उसने ट्रकों पर ट्रैफिक रूल्स (Traffic Rules) के प्रवर्तन (Enforcement) के लिए एक आईटी बेस्ड उपयोगी समाधान जारी किया है. इस ऐप से अधिकारियों को खुद कम संख्या में कमर्शियल व्हीकल की जांच की जरूरत पड़ेगी. इससे ई-चालान (E-challan) जारी कर नकद चालान की संख्या कम करने और मानवीय हस्तक्षेप कम करने में मदद मिलेगी. इससे राजस्व संग्रह भी बढ़ेगा.
वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce) ने कहा कि औसत रूप से भारत में एक ट्रक एक साल में 50,000 से 60,000 किलोमीटर की दूरी तय करता है, जबकि अमेरिका जैसे विकसित देशों में यह 3,00,000 किलोमीटर है. देरी की मुख्य वजहों में से एक सड़कों पर वाहनों की अचानक से होने वाली जांच और उसके साथ की जाने वाली दस्तावेजों के सत्यापन की प्रक्रिया है.
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ऐसा कहा जाता है कि जहां जीएसटी से स्थिति को सुधारने में मदद मिली है, वहीं भारत को विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने के लिए अब भी लंबा सफर तय करना है. विभिन्न नियमों और अनुपालनों के संभावित उल्लंघनों के 60 से अधिक अलग-अलग मामले हैं जिनपर प्रवर्तन एजेंसियों के ध्यान देने की जरूरत है. इस प्रवर्तन की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के विभागों - वाणिज्यिक कर, परिवहन, पुलिस और दूसरी एजेंसियों की है.
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सड़क परिवहन के लॉजिस्टिक की लागत कम करने की रणनीति के तहत लॉजिस्टिक डिविजन ने ट्रकों पर मार्ग के डिजिटल प्रवर्तन के लिए एक जोखिम आधारित दृष्टिकोण तथा तकनीक की मदद से प्रवर्तन तंत्र को चलाने के लिए एक सूचना प्रौद्योगिकी समाधान भी विकास किया है. डिविजन ने कहा कि राज्यों के अधिकारियों के साथ बुधवार को बैठक में इस समाधान को प्रस्तुत किया गया.
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