केरल निकाय चुनाव में कांग्रेस का हाथ, कट्टर जमात के साथ? इन पार्टियों ने उठाए सवाल
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केरल निकाय चुनाव में कांग्रेस का हाथ, कट्टर जमात के साथ? इन पार्टियों ने उठाए सवाल

कांग्रेस पार्टी केरल में स्थानीय निकायों के चुनाव में (Kerala civic elections) कट्टरवादी जमात ए इस्लामी (Jamaat-e-Islami) पार्टी के साथ गठबंधन करके संकट में फंस गई है.

फाइल फोटो

तिरुअनंतपुरम: कांग्रेस पार्टी केरल में स्थानीय निकायों के चुनाव में (Kerala civic elections) कट्टरवादी जमात ए इस्लामी (Jamaat-e-Islami) पार्टी के साथ गठबंधन करके संकट में फंस गई है. कांग्रेस (Congress) के इस सियासी चाल पर सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के मुख्य धड़े भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बीजेपी (BJP-CPM) ने कड़ी आलोचना की है.

  1. कट्टरपंथी जमातों के साथ कांग्रेस का रिश्ता क्या कहलाता है: मुख्तार अब्बास नकवी
  2. पहले भी कट्टरवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुकी है कांग्रेस
  3. जिन्ना की दो राष्ट्र वाली सोच पर यकीन रखता है जमात ए इस्लामी संगठन

ये रिश्ता क्या कहलाता है: मुख्तार अब्बास नकवी
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा,'कि राहुल जी ने जब वायनाड से चुनाव लड़ा तो कांग्रेस से ज्यादा जमात इस्लामी के झंडे दिख रहे थे. भारत ही नहीं पूरी दुनिया में जमात ए इस्लामी नाम के संगठन की गतिविधिया खून खराबे और मानवता के खिलाफ दिखाई पड़ती है. कांग्रेस की सुविधा के लिए जमात ने पार्टी का नया नाम 'वेलफेयर पार्टी' रख लिया है. ऐसी कट्टरवाली पार्टी के साथ कांग्रेस का रिश्ता उसकी बदली हुई मानसिकता को प्रदर्शित कर रहा है. नकवी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि ग्रैंड ओल्ड पार्टी के ब्रांड नई रेडिकल अलाइंस के बारे में बात करेंगे.'

पहले भी कट्टरपंथी संगठन से नाता जोड़ चुकी है कांग्रेस
बता दें कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने 2019 का लोकसभा चुनाव केरल के वायनाड से लड़ा था. उस समय वायनाड में उनके रोड शो में कांग्रेस के अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के भी झंडे लगाए गए थे. कांग्रेस पार्टी ने केरल में सरकार बनाने के लिए 5 अन्य स्थानीय दलों के साथ मिलकर युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट बनाया था. इस गठबंधन में कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ही थी. उस समय भी कांग्रेस इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी कट्टरवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर सवालों में घिरी थी. वहीं अब 2020 में जमात ए इस्लामी जैसी हार्डकोर कट्टरवादी पार्टी के साथ अलाइंस बनाने को लेकर आलोचनाओं के घेरे में है. 

जिन्ना की विचारधारा मानता है जमात ए इस्लामी संगठन
कांग्रेस के इस गठबंधन पर शुरू हुए विवाद को समझने के लिए जमात-ए-इस्लामी को जानना-समझना जरूरी है? उसकी विचारधारा का पर्दाफाश जरूरी है. जमात-ए-इस्लामी जिन्ना की विचारधारा पर चलने वाला संगठन है. जो दो राष्ट्र सिद्धांत में यकीन रखता है. जमात-ए-इस्लामी पूरे भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का मिशन लेकर काम कर रहा है. जमात-ए-इस्लामी ने इस्तांबुल में हागिया सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदले जाने का समर्थन किया था. इस संगठन को अपनी गतिविधियां चलाने के लिए खाड़ी देशों के शेखों से भारी मात्रा में फंड मिलता है. इसने दुनिया के दूसरे कट्टरवादी संगठनों से अपने गहरे रिश्ते बना रखे हैं. इस संगठन का सबसे ज्यादा असर केरल, बंगाल, यूपी और जम्मू कश्मीर में है. 

जमात के साथ गठबंधन पर कांग्रेस-RJD जवाब दें: नकवी
कांग्रेस-जमात ए इस्लामी के गठबंधन को बिहार चुनाव से जोड़ते हुए केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी कहते हैं कि हाथरस में जब PFI के लोग पकडे गए तो कांग्रेस के युवराज सांत्वना देने पहुंचे थे. अब अपने को सेक्युलर पार्टी कहने वाली कांग्रेस पार्टी जिस तरह से रेडिकालिस्म को बढ़ावा दे रही है वो अपने आप में बहुत खतरनाक मानसिकता है. बिहार में भी जमात और PFI की गतिविधिया हैं और केरल में जो समझौता हुआ है. क्या बिहार के इन रेडिकल एलिमेंट्स को ध्यान में रख कर हुआ है. RJD को जवाब देना होगा.

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सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस क्या देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की चाहत रखने वाली जमात के साथ खड़ी है? क्या कांग्रेस को गांधी की नहीं अपने राजनीतिक हितों के लिए जिन्ना वाली विचारधारा पसंद है?

CPM ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला
जानकारों के मुताबिक कांग्रेस ने ऐसा कदम अनजाने में नहीं उठाया बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति है. ऐसा करके वह मोदी सरकार से नाराज कट्टरवादी इस्लामिक जमातों का फायदा लेना चाहती है. शायद यही वजह है कि कांग्रेस के इस नापाक गठबंधन के खिलाफ CPM ने भी केरल में मोर्चा खोल दिया है. CPM ने जमात ए इस्लामी पार्टी के साथ कांग्रेस के सियासी गठजोड़ के गंभीर परिणामों के लिए देश को चेताया है.

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