मुख्यमंत्री अपनी धर्म पत्नी के साथ जयपुर के गांधीनगर के शिशु गृह में पहुंचे थे जहां उन्होंने शिशु गृह के बच्चों के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया.
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जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत(Ashok Gehlot) ने प्रदेशवासियों से दीपावली के पर्व को सार्थक तरीके से मनाने की अपील की है. मुख्यमंत्री अपनी धर्म पत्नी के साथ जयपुर के गांधीनगर के शिशु गृह में पहुंचे थे जहां उन्होंने शिशु गृह के बच्चों के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया. सीएम ने इन बच्चों में गिफ्ट बांटे और उनके साथ अनार और फुलझड़ी चला कर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट को लाने का भी प्रयास किया.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दीपोत्सव के पर्व का आगाज राजधानी जयपुर के शिशु गृह के बच्चों के साथ किया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बच्चों को दीपावली के उपहार दिए और उनके साथ पटाखे जलाकर दीपावली की खुशियां साझा की. इस शिशु गृह में अनाथ और लावारिस बच्चों को रखा जाता है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत धर्म पत्नी सुनीता गहलोत के साथ शिशु गृह पहुंचे थे. शिशु गृह के बच्चों ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्वागत में तैयारियां कर रखी थी. बच्चों ने अपने हाथों से बनाए ग्रीटिंग्स सीएम को दिए और मुख्यमंत्री ने बच्चों के बनाए हुए दिए जलाकर उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी.
मुख्यमंत्री ने इन बच्चों के साथ करीब 1 घंटा बिताया. इस दौरान सीएम ने बच्चों के साथ अनार और फुलझड़ी भी जलाई. बच्चों की तरफ से भी सीएम को दीपावली के गिफ्ट उपहार में दिए गए. मुख्यमंत्री ने कहा दीपोत्सव का मकसद खुशियां बांटना है और इन बच्चों के साथ दीपावली मनाने से दीपावली के मायने सार्थक हो जाते हैं.
बाल शिशु गृह गृह आश्रम से निकलते समय मुख्यमंत्री की मुलाकात उनके एक नन्हे फैन से हुई. मृदुल नाम के इस 10 वर्षीय बालक ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ऑटोग्राफ मांगा तो सीएम ने उसके दोनों हाथ पर अपने हस्ताक्षर कर दिए. बच्चे ने मुख्यमंत्री से उनके मोबाइल नंबर की भी मांग की तो सीएम ने उसके पिता के मोबाइल में अपने नंबर अपने हाथों से सेव किए. सीएम ने बच्चे से पूछा कि वह बड़ा होकर क्या बनना चाहता है बच्चे ने जवाब दिया डॉक्टर तो सीएम ने उसे भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दी.
सीएम और बच्चे का संवाद चलाया जाए
वीओ-3 अनाथ बच्चों के बीच सूबे के मुखिया का इस तरह से दिवाली का पर्व मनाना वाकई प्रेरणादायक है. निश्चित तौर पर सीएम की इस पहल से प्रदेश के अन्य लोग भी दिवाली के इस पर्व पर गरीब और निर्धन बच्चों के बीच पहुंचेंगे और अपनी खुशियों को साझा करेंगे अगर लोग ऐसा करते हैं तो सही मायने में दीपावली सार्थक हो सकते हैं.