इस गांव में बारिश का पानी नहीं रुकता है तो खेती नही होती है. गांव के सभी खेतों में मजदूरी करते हैं. काम की तलाश में जो यहां से चला बाहर चला जाता है वह लौटकर नहीं आता.
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विशाल करोले, बीड़: महाराष्ट्र के बीड़ में एक गांव ऐसा है जहां से लगभग 85 फीसदी गांव वाले पलायन कर चुके हैं. सूखे के चलते गांव वालों ने अपने घरों को अलविदा कह दिया है. यह कहानी बीड़ के हाटकरवाड़ी की है. गांव की जनसंख्या 650 है लेकिन, अब इस गांव में सिर्फ 100 लोग रहते हैं. जिसमें भी बूढ़े और बच्चे ही ज्यादा हैं. हाटकरवाड़ी में आते ही पता चलता है कि यहां पर ज्यादातर घरों पर ताले लगे हैं. गांव में सन्नाटा है. मानों पूरा गांव खाली हो गया हो. गांव में पानी बड़ी मुश्किल से आता है. गांव में हैंडपंप है लेकिन अब वह सूख चुके हैं. सरकारी टैंकर कभी-कभार ही आता है. गांव में जो लोग बचे है उनका पूरा दिन सिर्फ पानी की तलाश में जाता है.
65 वर्षीय चतुरबाई के परिवार के सभी युवा सदस्य शहर चले गए हैं. चतुरबाई कहती हैं कि शहर में जाकर कमाओ और यहां आकर खाओ. यह हमारी जिंदगी है. पानी के लिए यहां लोगों के पैर पड़ना होता है. कुछ काम भी नही है. तो लोग यहां क्यो रहेंगे. वहीं, भीमराव गलदर ने बताया कि टैंकर वाला कोई भी यहां आता नही. कहता है आपने मुझे 2000 रुपये दिए तो भी नही आउंगा. वह कहता है रास्ते इतने खराब है कही टैंकर पलट गया तो उसे वापस कैसे ले जाऊंगा. पानी नहीं मिलता तो लोग कैसे रहेंगे.
इस गांव में बारिश का पानी नहीं रुकता है तो खेती नही होती है. गांव के सभी खेतों में मजदूरी करते हैं. काम की तलाश में जो यहां से चला बाहर चला जाता है वह लौटकर नहीं आता. यह बीड़ के सिर्फ एक गांव की कहानी है, लेकिन अंदर पहाड़ों में ऐसे कई गांव मिलेंगे, जो सूखे के कारण खाली हो गए हैं.