अब आतंक नहीं 'पेंसिल' वाले जिले के रूप में पहचाना जाएगा ये जिला, मिलने जा रहा है ये टैग
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अब आतंक नहीं 'पेंसिल' वाले जिले के रूप में पहचाना जाएगा ये जिला, मिलने जा रहा है ये टैग

जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के लिए चर्चित पुलवामा जिले को अब नई पहचान मिलेगी. उसे अब आतंक के लिए नहीं बल्कि 'पेंसिल' के लिए जाना जाएगा.  पुलवामा की पहचान बनी पेंसिल पुलवामा के एक छोटे से गांव से शुरू हुई पेंसिल स्लेट बनाने की प्रक्रिया अब पूरे पुलवामा ज़िले में फैल गई है.

पुलवामा में पेंसिल यूनिटों में चल रहा उत्पादन कार्य

पुलवामा: जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के लिए चर्चित पुलवामा जिले को अब नई पहचान मिलेगी. उसे अब आतंक के लिए नहीं बल्कि 'पेंसिल' के लिए जाना जाएगा. 

  1. पुलवामा की पहचान बनी पेंसिल
  2. उक्खू गांव से शुरू हुआ पेसिंल बनाने का काम
  3. पुलवामा को पेंसिल वाला जिले का टैग देने की तैयारी

पुलवामा की पहचान बनी पेंसिल
पुलवामा के एक छोटे से गांव से शुरू हुई पेंसिल स्लेट बनाने की प्रक्रिया अब पूरे पुलवामा ज़िले में फैल गई है. पुलवामा में आज पेंसिल स्लेट बनाए की 17 यूनिट हैं. जो पूरे देश में 90% पेंसिल स्लेट की सप्लाई  करता है. पुलवामा में पेंसिल स्लेट का हर साल 100 करोड़ का कारोबार होता है. देश की सभी बड़ी पेंसिल कंपनियां कश्मीर के पुलवामा से पेंसिल बनाने के लिए कच्चा माल खरीदती हैं. पेंसिल स्लेट का उत्पादन करने वाले बताते हैं कि अगर हमको कच्चा माल मिलेगा तो इस कारोबार को पूरे कश्मीर में फैलाया जा सकता है. इससे प्रदेश में रोजगार बढ़ेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा. 

उक्खू गांव से शुरू हुआ पेसिंल बनाने का काम
देश को काफी कम लोगों को पता होगा कि देश के घर- घर में इस्तेमाल होने वाली पेंसिल आती कहां से है. यह पेंसिल पुलवामा जिले से आती है. शुरू में पुलवामा जिले के उक्खू गांव में पेंसिल बनाने का काम शुरू हुआ. जो अब पूरे पुलवामा में फैल गया है. यहां से देश भर में करीब 90 फीसदी पेंसिल स्लेट की सप्लाई की जाती है. वर्ष 2010 में पेंसिल स्लेट का काम शुरू करने वाले मंजूर अहमद इल्लाहि कहते है कि 90 फीसदी माल की सप्लाई कश्मीर में जाती है. केवल 10 फीसदी लकड़ी ही केरल से आती है. इससे पहले यह लकड़ी चीन से आती थी. लेकिन पॉपलर लकड़ी से यहां पेंसिल बनाना शुरू किया तो देशभर की तमाम कंपनियां यहीं से माल खरीदने लगी. 

पुलवामा को पेंसिल वाला जिले का टैग देने की तैयारी
ज़िला इंडस्ट्री कॉरपोरेशन के कर्मचारी बशीर अहमद कहते है  हम इस पेंसिल उद्योग को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि पुलवामा जिले की पहचान पेंसिल वाले जिले के रूप में हो. सरकार अब इस गांव को ही नहीं बल्कि पूरे जिले को पेंसिल वाले जिले का टैग देने चाहती है. पुलवामा से अभी तक केवल पेंसिल स्लेट बनती थी मगर अब यहां से ही पूरी पेंसिल बनकर पूरे देश में जाएगी, ऐसा सरकार का इरादा है. वही सरकार पेंसिल बनाने के लिए पॉपलर लकड़ी के पेड़ों की पैदावार बढ़ाने की कोशिश कर रही है. 

करीब 100 करोड़ रूपये का कारोबार कर रही हैं पेंसिल यूनिट्स
पुलवामा के डिप्टी कमिश्नर राघव लांगर कहते हैं कि हमारे जिले में पेंसिल बनाने वाली 17 पंजीकृत यूनिट हैं. ये सब यूनिट्स मिलकर 100 करोड़ रूपये सालाना का कारोबार करती हैं. प्रत्येक यूनिट 5 से 6 करोड़ का कारोबार करती है. ये सब यूनिट मिलकर तीस हजार बैग  सालाना बनाती हैं. सरकार ने तय किया है कि उक्खू गांव को पेंसिल विलिज का नाम देंगे. हम चाहते हैं कि यहां पर पेंसिल बनाने वाली ओर भी यूनिटें लगे, जिससे जिले का विकास हो और इसकी पहचान आतंक की बजाय पेंसिल से बने. 

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