जानिए कौन होता है प्रोटेम स्पीकर, क्या हैं इनके अधिकार और कर्तव्य
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद मंगलवार (26 नवंबर) को अपना फैसला सुनाते हुए राज्यपाल से बुधवार (27)नवंबर को विधानसभा में बहुमत साबित कराने का आग्रह किया. कोर्ट ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में बुधवार शाम 5 बजे तक बहुमत परीक्षण हो जाना चाहिए.
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मुंबई: महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजों के करीब एक महीने बाद बीजेपी ने एनसीपी नेता अजित पवार के समर्थन से 23 नवंबर को सरकार बना ली. लेकिन इस सरकार के खिलाफ शिवसेना और कांग्रेस के साथ साथ एनसीपी भी सुप्रीम कोर्ट चली गई. एनसीपी का दावा था कि अजित पवार ने बिना पार्टी विधायकों से राय लिए बीजेपी को समर्थन देने का फैसला किया है. इसके अलावा राज्यपाल द्वारा शनिवार 23 नवंबर को अचानक से राष्ट्रपति शासन हटाए जाने का ऐलान करना और तुरंत फडणवीस को शपथ दिलवाने के फैसले के खिलाफ भी अपील की.
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन की सुनवाई के बाद मंगलवार (26 नवंबर) को अपना फैसला सुनाते हुए राज्यपाल से बुधवार (27)नवंबर को विधानसभा में बहुमत साबित कराने का आग्रह किया. कोर्ट ने कहा कि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति में बुधवार शाम 5 बजे तक बहुमत परीक्षण हो जाना चाहिए.
क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर का काम नए सदस्यो को शपथ दिलाना और स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष ) का चुनाव कराना होता हैं. लेकिन जब प्रोटेम स्पीकर के जरिए फ्लोर टेस्ट कराने की बात कही गई है तो उसका रोल काफी महत्वपूर्ण हो जाता हैं. आमतौर पर सबसे सीनियर मोस्ट विधायक यानि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतकर आया हो , उसे प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है लेकिन राज्यपाल इसे माने ये जरूरी नहीं है...
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...विधानसभा सचिवालय की तरफ से राज्यपाल को सीनियर मोस्ट विधायकों के नाम भेजे जाते है और राज्यपाल उनसे से एक सीनियर मोस्ट विधायक को चुनता है, ये राज्यपाल के विशेषाधिकार है कि वो किसे चुने. जैसा कि साल 2018 में कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई ने बीजेपी नेता के.जी. बोपाया को प्रोटेम स्पीकर बनाया कांग्रेस पार्टी की आर. वी देशपांड़े की जगह.
प्रोटेम स्पीकर का कर्तव्य
प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर(Pro Tempore) का संक्षिप्त रूप है. इसका शाब्दिक आशय होता है-'कुछ समय के लिए.' प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती. यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है. सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता.
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इसलिए सबसे पहले विधायक को शपथ दिलाई जाती है. जब विधायकों की शपथ हो जाती है तो उसके बाद ये लोग विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. परंपरा के मुताबिक सदन में सबसे वरिष्ठ सदस्य को गवर्नर, प्रोटेम स्पीकर के लिए चुनते हैं.
प्रोटेम स्पीकर की शक्ति
प्रोटेम स्पीकर की सबसे बड़ी ताकत होती है कि वो वोट को क्लालिफाई या डिसक्वालिफाई घोषित कर सकता है. इसके साथ ही वोट की गिनती समान होने और टाई की स्थिति आने पर उसके पास निर्णायक वोट करने का अधिकार होता है.