जातिसूचक टिप्पणी के बाद डॉक्टर ने की आत्महत्या, महिला आयोग ने डीन को भेजा नोटिस
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जातिसूचक टिप्पणी के बाद डॉक्टर ने की आत्महत्या, महिला आयोग ने डीन को भेजा नोटिस

महिला आयोग ने बताया कि उसने रिपोर्ट में ‘‘प्रशासन एवं छात्रों के बीच संवाद की कमी’’ पर भी आठ दिन के अंदर जवाब मांगा है.

बीएमसी द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज की तीन डॉक्टरों- अंकिता खंडेलवाल, हेमा आहूजा और भक्ति मेहारे ने महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) को लिखे पत्र में कहा कि वे चाहती हैं कि कॉलेज इस मामले में निष्पक्ष जांच करे और उन्हें ‘‘न्याय’’ मिले.

मुंबई: मुंबई के सरकारी अस्पताल में कथित रूप से जातिसूचक टिप्पणी से आहत महिला डॉक्टर के आत्महत्या करने के मामले में छात्रों एवं आदिवासी संगठनों द्वारा प्रदर्शन तेज करने के बीच राज्य महिला आयोग ने कॉलेज के डीन से मामले में रिपोर्ट मांगी है. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा संचालित संस्था बीवाईएल नायर अस्पताल रमेश भरमल के डीन को लिखे पत्र में महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने यह जानना चाहा कि क्या संस्थान में रैगिंग विरोधी कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया गया है.

आयोग ने बताया कि उसने रिपोर्ट में ‘‘प्रशासन एवं छात्रों के बीच संवाद की कमी’’ पर भी आठ दिन के अंदर जवाब मांगा है. इस बीच जातिसूचक टिप्पणी कर 26 वर्षीय सहयोगी डॉक्टर को आत्महत्या के लिए उकसाने की आरोपी तीन महिला डॉक्टरों ने मामले में ‘‘निष्पक्ष जांच’’ की मांग की है. आरोप है कि 26 वर्षीय पायल तडवी ने जातिसूचक टिप्पणियों से आहत होकर आत्महत्या कर ली थी. बीएमसी द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेज की तीन डॉक्टरों- अंकिता खंडेलवाल, हेमा आहूजा और भक्ति मेहारे ने महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) को लिखे पत्र में कहा कि वे चाहती हैं कि कॉलेज इस मामले में निष्पक्ष जांच करे और उन्हें ‘‘न्याय’’ मिले.

 

तीनों डॉक्टरों ने अपने पत्र में कहा, ‘‘पुलिस बल और मीडिया के दबाव में आकर जांच करने का यह कोई तरीका नहीं है.’’ एमएआरडी ने तीनों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है. एमएआरडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे पास विश्वसनीय जानकारी है कि तीन डॉक्टरों ने डॉ. पायल तडवी के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी की. हम आगे की जांच के लिए पुलिस को सहयोग करेंगे. दूसरे वर्ष की पीजी छात्रा द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या कर लेने के बाद दायर प्राथमिकी में कहा गया है कि उसके वरिष्ठ उसे अक्सर धमकी देते थे कि उसे ऑपरेशन थिएटर में नहीं जाने दिया जाएगा या प्रसव कराने की अनुमति नहीं दी जाएगी. आदिवासी होने के कारण व्हाट्सएप पर भी उसका मजाक उड़ाया गया.

तडवी ने 22 मई को आत्महत्या कर ली थी. उसके परिवार ने आरोप लगाया है कि अनुसूचित जनजाति से होने के कारण उसे परेशान किया जाता था. अस्पताल की रैगिंग रोधी समिति के इस कथित आत्महत्या के मामले में रिपोर्ट पेश करने की संभावना है. प्रशासन ने विभागाध्यक्ष और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की इकाई प्रमुख को नोटिस जारी किया है. तीनों डॉक्टरों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाने), अत्याचार अधिनियम, रैगिंग रोधी कानून एवं आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.

उत्तर महाराष्ट्र के जलगांव जिला स्थित अपने गृह नगर से तडवी की मां अबेबा तडवी ने कहा कि उनकी बेटी ने 22 मई को फोन कर कथित उत्पीड़न के बारे में बताया था. मुंबई में सोमवार को वंचित बहुजन अघादी, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक एसोसिएशन, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कॉलेज एवं अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया. संगठन ने नायर अस्पताल प्रशासन को कथित आत्महत्या के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए डीन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

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