आषाढी एकादशी के मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने परिवार संग दर्शन के लिए पहुंचे हैं.
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मुंबई: आषाढी एकादशी के मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपने परिवार समेत पँढरपुर में स्थित विठ्ठल मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे हैं. इस यात्रा पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना संपादकीय में लिखा है-हे विट्ठल, इस बार संभाल लो! इस साल हमारे सारे उत्सव व पर्वों पर कोरोना संकट का साया है. आज की आषाढ़ी एकादशी के दौरान पंढरपुर की तस्वीर भी इससे कुछ अलग वैसे होगी?
दरअसल, हर साल जहां लाखों भक्तों का मेला लगता था, इस बार वो यात्रा सूनी-सूनी सी रहेगी. पवित्र चंद्रभागा का स्मरण करते हुए पावन स्नान करने वाले वारकरी भक्तों को इसकी कमी खलेगी ही और चंद्रभागा घाट की याद भी आएगी. इस बार के आषाढ़ में बिना विट्ठल भक्तों के पैरों के निशान पड़े चंद्रभागा का किनारा भी सूखा-सूखा रहेगा.
वहीं ‘भेटी लागि जिवा लागलीसे आस’ और ‘श्रीमुख दावी देवा’ गाते भजनानंदी वारकरी भक्तों के पैर इस बार पंढरी की ओर नहीं बढ़ पाए. न यात्रा-पताका लहराई और न ही रिंगण समारोह ही हो पाया. आज केवल पूर्व निश्चित 9 पालकियों को ही पंढरपुर में प्रवेश मिलेगा. इस दौरान सभी को कोरोना के नियमों का पालन करना होगा. इसके अलावा पंढरपुर में आज आषाढ़ी एकादशी के दौरान सबकुछ शांत-शांत सा होगा. हालांकि ऐसा करना बहुत मुश्किल था लेकिन कोरोना संक्रमित लाखों भक्तों की जान की रक्षा के लिए दूसरा विकल्प भी क्या था?
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इस दौरान वारकरी समुदाय ने भी ‘मानसवारी’ का बीच का रास्ता निकालकर साथ दिया, यह महत्वपूर्ण है. वारी (यात्रा), आषाढ़ी एकादशी और इसी दिन पंढरपुर में लाखों भक्तों को होने वाला भगवान विट्ठल का दर्शन समारोह महाराष्ट्र की केवल आध्यात्मिक परंपरा ही नहीं, बल्कि एक आनंदपूर्ण समारोह है. ‘बोलावा विट्ठल, पाहावा विट्ठल, करावा विट्ठल जीवभाव…’ का घोष करते लाखों वारकरी इस आनंद समारोह में कई वर्षों से अपनी देह-भान भूलकर शामिल होते आए हैं. इस बार इस आनंद समारोह पर कोरोना का साया है. हालांकि सभी के सहयोग से किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, यह भगवान विट्ठल की कृपा ही है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र पर ही नहीं, बल्कि पूरे देश पर आज कोरोना का भयंकर संकट है. महाराष्ट्र का लॉकडाउन अब 31 जुलाई तक बढ़ा दिया गया है. इसी समय ‘मिशन बिगन अगेन’ के दूसरे चरण की भी घोषणा राज्य सरकार ने की है. कोरोना संक्रमण का खतरा अभी बना हुआ है. लॉकडाउन के कारण मंद पड़े अर्थचक्र को गतिमान करने में समय लगेगा. राज्य सरकार ने ‘मिशन बिगन अगेन’ का शंखनाद कर दिया है. तदनुसार अर्थचक्र धीरे-धीरे शुरू भी हो चुका है. हालांकि अभी सबकुछ ठीक होने में समय लगेगा. इसके लिए हमें कोरोना युद्ध को जीतना होगा. उसे जीतने की ताकत और सामर्थ्य भगवान पांडुरंग हमें दें, महाराष्ट्र की जनता ऐसी प्रार्थना कर रही है.
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उल्लेखनीय है कि मुंबई को छोड़कर राज्य के कई क्षेत्रों में इस बार बरसात ने हाजिरी लगा दी है. जिससे किसानों के चहरे खिल उठे हैं. खरीफ की फसल का काम शुरू है. भगवान विट्ठल, किसानों का ये आनंद इसी प्रकार बनाए रखें. आए हुए वरुण राजा जल्दी न लौटें. देश में कोरोना का संकट और सीमा पर चीन से घमासान के दोहरे संकट से रास्ता निकालने की शक्ति दें. भगवान पांडुरंग, आज आषाढ़ी एकादशी को चंद्रभागा तट आनंदातिरेक से परिपूरित नहीं हुआ, पंढरी में विट्ठल का नाम गुंजायमान नहीं हुआ, चंद्रभागा का तट भक्तों से नहीं भरा. भजन-कीर्तन से पंढरी का परिसर नहीं गूंजा.
इस बार कोरोना के कारण भक्तों को दर्शन देने की आपकी इच्छा अधूरी रह गई, इससे नाराज मत होना. पंढरपुर यात्रा को सबसे बड़ा पुण्य माननेवाले भक्तों की श्रद्धा मजबूरीवश पूरी नहीं हो पाई. हालांकि लाखों वारकरी और भक्त आज शरीर से भले पंढरपुर में न हों, लेकिन मन और भाव से वे पंढरपुर में ही रहेंगे. उनकी भावना और मनोवेग को कौन रोक पाएगा? हे भगवान विट्ठल, भक्तों की व्याकुलता और मानस पूजन को समझो. सैकड़ों वर्षों की यात्रा पर जिस कोरोना के कारण संकट आया है, उस संकट को शीघ्र दूर करके महाराष्ट्र को पुन: आनंदित करने का आशीर्वाद दो. हे विट्ठल, इस बार संभाल लो!
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