कोरोना से ठीक हुए मरीज ने सुनाई आपबीती, लोगों ने कैसे किया था परेशान
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कोरोना से ठीक हुए मरीज ने सुनाई आपबीती, लोगों ने कैसे किया था परेशान

राहुल बिहार के पहले मरीज हैं, जिन्होंने कोरोना वायरस को मात देते हुए जिंदगी की जंग को जीता है.

प्रतीकात्मक फोटो

पटना: कोरोना वायरस (Coronavirus) को मात देने वाले बिहार के पहले व्यक्ति राहुल ने कहा कि उसने अपने बुलंद हौसले से जंग जीती है. अब गांव वालों और दोस्तों का प्यार मिल रहा है लेकिन उस समय कुछ लोगों ने मेरे घर, गली और मेरा उपनाम कोरोना रख दिया था. 

  1. लोगों ने राहुल के घर, गली और उसका उपनाम कोरोना रख दिया था
  2. राहुल स्कॉटलैंड में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते थे
  3. वतन लौटने के बाद राहुल के शरीर में कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण नहीं था

राजधानी पटना के एम्स के पास जानीपुर के रहने वाले राहुल स्कॉटलैंड में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते थे. जब वहां कोरोना वायरस का खतरा बढ़ना शुरू हुआ तो राहुल ने अपने देश भारत लौटने का फैसला किया. वो 19 मार्च को लंदन के रास्ते स्कॉटलैंड से मुंबई और फिर पटना पहुंचे. 

बता दें कि राहुल अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं. मगर ठीक होने के बाद भी उन्होंने एहतियातन अपने आपको 14 दिन के लिए आइसोलेशन रखा. अब 14 दिन के बाद राहुल लोगों और परिवार वालों के बीच रह रहे हैं.

गौरतलब है कि राहुल बिहार के पहले मरीज हैं, जिन्होंने कोरोना वायरस को मात देते हुए जिंदगी की जंग को जीता है.

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राहुल ने की माने तो अपने वतन लौटने के बाद उनके शरीर में कोरोना वायरस का कोई भी लक्षण नहीं था. इसी वजह से मुंबई एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग में उनको क्लीन चिट मिल गई थी. इसके बाद उन्होंने पटना के लिए अगली फ्लाइट पकड़ी और वापस घर आ गए थे लेकिन फ्लाइट में कई विदेशियों के संपर्क में वो जरूर आ गए थे और इसी वजह से पटना में जांच करवाने का फैसला किया. पहले एम्स गए लेकिन वहां की स्थिति ठीक नहीं थी इसीलिए फिर नालंदा मेडिकल कॉलेज में जांच करवाई. 

नालंदा मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने राहुल कुमार की जांच के लिए सैंपल लिए और उसे राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट भेजा. उसी शाम राहुल कुमार का रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आया. फिर कुछ दिन बाद दो बार और सैंपल लिया गया. जो नेगेटिव आए और फिर डॉक्टरों ने एक अप्रैल को राहुल को डिस्चार्ज कर दिया.

राहुल ने आगे कहा कि कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी मिलने के बावजूद मैंने हिम्मत नहीं हारी और ठान लिया कि मैं इस लड़ाई को जीत कर ही बाहर निकलूंगा. 

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राहुल की माने तो जब राहुल की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी तो लोगों ने उनके घर और गली के साथ राहुल का नाम भी कोरोना रख दिया था. राहुल इसे लोगों की अज्ञानता मानते हैं. जबकि उनके पिता का कहना है कि जिनको कोरोना के खिलाफ जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी मिली है, जो स्थानीय जन प्रतिनिधि हैं उनके द्वारा सबसे अधिक इस तरह की बातों को हवा दी गई.

राहुल का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश में जो लॉकडाउन लागू करने का आदेश दिया गया, वो सही समय पर किया गया. उसका लोगों को पूरी तरीके से पालन करना चाहिए. तभी कोरोना वायरस जैसे जानलेवा वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.

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