राजस्थान: रामगढ़ बांध को लेकर किरोड़ीलाल मीणा ने किया विरोध प्रदर्शन, रखी यह मांग...
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राजस्थान: रामगढ़ बांध को लेकर किरोड़ीलाल मीणा ने किया विरोध प्रदर्शन, रखी यह मांग...

बांध में फिर से पानी की आवक के लिए किरोड़ी लाल मीणा ने अपने आवास से सीएम हाउस की तरफ पैदल कूच किया और अतिक्रमण हटाने की मांग की.

राजस्थान: रामगढ़ बांध को लेकर किरोड़ीलाल मीणा ने किया विरोध प्रदर्शन, रखी यह मांग...

जयपुर: एक जमाने में रामगढ बांध को जयपुर की लाइफलाइन कहा जाता था, लेकिन अब तस्वीर बिल्कुल बदल चुकी है. अब हालात ये है कि बांध में एक बूंद भी पानी नहीं बचा है. बदलते वक्त के साथ साथ बांध की तस्वीर और तकदीर बदलती चली गई. अब रामगढ बांध दिखाई तो देता है, लेकिन पानी नहीं. इसी बांध में फिर से पानी की आवक के लिए किरोड़ी लाल मीणा ने अपने आवास से सीएम हाउस की तरफ पैदल कूच किया और अतिक्रमण हटाने की मांग की.

बता दें कि, 75 साल तक जयपुर की प्यास बुझाने वाला रामगढ बांध अब खुद पानी के लिए तरस रहा है. बांध में बढ़ते अतिक्रमण के कारण नदियों से आने वाले पानी का रास्ता बंद हो गया. बांध में अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर किरोडी लाल मीणा सैकडों समर्थकों के साथ सीएम आवास की ओर कूच किया. लेकिन भारी पुलिस जाप्ते में सिविल लाइन्स फाइट पर रोक दिया. 

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वहीं, जी मीडिया से बातचीत में किरोड़ी मीणा का ने बड़े ही गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि ब्यूरोकेट्स और नेताओं ने बांध में अवैध कब्जे कर रखा है. जिस कारण बांध में पानी की निकासी रूक गई है. सरकार से मांग करते है कि जल्द से जल्द बांध में अतिक्रमण हटाया जाए. विरोध के बाद किरोड़ी लाल मीणा सीएमओं पहुंचे और मुख्य सचिव के साथ मुलाकात की.

बता दें कि 2005 के बाद ऐसी स्थिति हो गई, जब बांध में एक बूंद भी पानी नहीं बचा. जब से राजस्थान में चार सरकारे बदल गई, लेकिन अब तक रामगढ़ बांध को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पाया. राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2011 में पहली बार स्वयं संज्ञान लेकर रामगढ़ बांध को सूखने का कारण जानना चाहा तो पता चला कि इसके 700 वर्ग किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र से लेकर बांध तक 405 एनीकट और 800 अतिक्रमण थे. इनमें फार्म हाउसों से लेकर शिक्षण संस्थान तक लिप्त पाए गए. 

साथ ही, सबसे बड़ी वजह रामगढ़ बांध में बने एनिकट, नालों और छोटी नदियों में ही अतिक्रमण कर लिया गया है. जिससे रामगढ़ बांध में पानी आने के रास्ते खत्म होते चले गए. बाणगंगा और इसकी सहायक नदियों पर अतिक्रमण बढ़ने के बाद तो रामगढ़ बांध को एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पाया. स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि बांध के सूखने के बाद आसपास के गांवों में पानी का जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि रामगढ बांध पर सरकार क्या फैसला लेती है और कैसे रामगढ बांध की प्यास बुझ पाती है.

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