राजस्थान का रहने वाला एक युवा विदेश में पैसे कमाने के लिए गया था. इस दौरान एक मामले में जेल जाने के बाद सोशल मीडिया का सहारा लेकर उसे जेल से छूड़ाया गया.
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हनुमान तंवर, डीडवाना(नागौर): बेरोजगार युवाओं(Unemployed Youth) को जब अपने वतन में समय पर रोजगार नहीं मिल पाता तो वह भी विदेश की राह पकड़ते हैं और अपने देश और अपने गांव से, अपने परिवार से दूर केवल यह सोचकर विदेश जाते हैं कि उनके परिवार का भरण पोषण सही तरीके से हो सके और दो पैसे की आमदनी भी हो. इसी लालसा में कई बार विदेश जाने वाले युवा अनचाही मुसीबतों से घिर जाते हैं. विदेश में उनकी ना तो कोई सुनने वाला होता है और ना कोई बचाने वाला.
हादसे ने बनाया जिंदगी को नर्क
राजस्थान(Rajasthan) के नागौर(Nagaur) जिले के लाडनूं तहसील के छोटे से गांव रताऊ का रहने वाला गोविंदराम कई सपने लेकर विदेश गया था. बूढ़े मां-बाप और बीवी बच्चों को बेहतर जिंदगी देने के लिए सात समंदर पार जाना उसकी मजबूरी थी क्योंकि ग़ांव में रहकर वह केवल अपने परिवार का ही पेट भर पा रहा था. जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए विदेश कमाने के लिए गया लेकिन वहां हुए एक हादसे ने उसकी जिंदगी को नर्क बना दिया.
ट्रोला चलाने के दौरान हुआ हादसा
गोविंदराम सऊदी अरब(Saudi Arabia) में ट्रोला चलाने का काम करता था दो ढाई साल तक वो वहां ट्रोला चलकर होने वाली आमदनी से अपना घर चला रहा था. उसे अब लगने लगा था कि उसके परिवार के भी अब सुख के दिन आएंगे लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. जो ट्रोला वो चलाता था उसका इंश्योरेंस एक दिन खत्म हुआ तो उसने अपने सऊदी कफील से कहा कि इसका इंश्योरेंस करवा दो लेकिन मालिक ने कहा तुम चलाओ कुछ हुआ तो मैं देख लूंगा. एक दिन एक अरबी की कार ने उसे पीछे से टक्कर मार दी और कार चालक की मौके पर ही मौत हो गई गलती अरबी व्यक्ति की थी लेकिन पक्षपात पूर्ण तरीके से गोविंद को जेल भेज दिया गया.
लग गया 72 लाख का जुर्माना
इंश्योरेंस नहीं होने की वजह से उसपर 72 लाख का जुर्माना लगाया गया. गोविंद के मालिक ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और सारा आरोप गोविंद पर मढ़ दिया. जुर्माने की रकम नहीं चुकाने पर गोविंद को जेल में बंद कर दिया गया.
परिजनों ने सरकार से लगाई थी गुहार
गोविंद के परिजनों को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने सरकार से उसकी मदद की गुहार लगाई लेकिन राम के साथ राज भी मानो उनसे रूठ गया था. सरकार की तरफ से आश्वासनों के अलावा कुछ नहीं मिला.
सोशल मीडिया का लिया गया सहारा
लेकिन कहते हैं कि ऊपर वाले के घर देर है अंधेर नहीं, गोविंदराम के परिवार के हालात को देखकर कुछ युवाओं ने सोशल मीडिया पर गोविंदराम की सहायता के लिए मुहिम चलाई.
फेसबुक के माध्यम से जुटाई गई धनराशि
फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए युवाओं ने गोविंदराम पर लगाये गए जुर्माने की राशि एकत्रित की जिसमे लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने भी अपनी एक महीने की सैलरी सहायतार्थ दी. साथ ही साथ कई समाजसेवी भी आगे आये. 72 लाख रुपये इकट्ठा करने में साल लग गया लेकिन युवाओं की मेहनत रंग लाई और यह राशि जमा करवाने पर गोविंदराम को कल सउदी जेल से रिहा कर दिया गया.
युवाओं की मुहिम रही सफल
सोशल मीडिया के दुरुपयोग के कई मामले आये दिन सामने आते हैं लेकिन गोविंदराम की रिहाई में सोशल मीडिया का जो उपयोग युवाओं ने किया वो काबिले तारीफ है. संसाधनों का सदुपयोग किस तरह वरदान भी साबित होता है उसका उदाहरण गोविंदराम है.