याद करो कुर्बानी: जब राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्‍मन की मशीनगन से दुश्‍मनों को ही किया नेस्‍तनाबूद
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याद करो कुर्बानी: जब राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्‍मन की मशीनगन से दुश्‍मनों को ही किया नेस्‍तनाबूद

राइफलमैन संजय कुमार की इस वीरता के चलते भारतीय सेना ने एकबार फिर 4875 प्‍वाइंट पर अपना दोबारा स्‍थापित कर भारतीय तिरंगा फहरा दिया. राइफल मैन की इस बहादुरी के लिए उ‍न्‍हें सेना के सर्वोच्‍चा पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किय गया.

याद करो कुर्बानी: जब राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्‍मन की मशीनगन से दुश्‍मनों को ही किया नेस्‍तनाबूद

नई दिल्‍ली: याद करो कुर्बानी की 11वीं कड़ी में हम आपको 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स के जांबाज राइफलमैन संजय कुमार की वीरगाथा बनाते जा रहे है. संजय कुमार का जन्‍म 3 मार्च 1976 में हिमाचल प्रदेश के विलासपुर में हुआ था. राइफलमैन की पारिवारिक पृष्‍ठभूमि सेना की रही है, लिहाजा बचपन से संजय कुमार के दिल में सेना में जाने की ख्‍वाहिश थी. उनकी यह ख्‍वाहिश 1996 में पूरी हो गई. उन्‍होंने अपना सैन्‍य सफर भारतीय सेना की 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स से शुरू की. 

  1. मुश्‍कोह में बैठे पाकिस्‍तानी दुश्‍मन को नेस्‍तनाबूद करने का मिला था जिम्‍मा
  2. गोलियों की बौछार के बीच दुश्‍मन के बंकर पर किया सीधा हमला
  3. वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्‍मानित हुए राइफलमैन संजय कुमार

मुश्‍कोह में बैठे पाकिस्‍तानी दुश्‍मन को नेस्‍तनाबूद करने का मिला था जिम्‍मा
वाकया उन दिनों का जब कारगिल में भारतीय सेना और आतंकियों की भेष में आई पाकिस्‍तानी सेना के बीच युद्ध शुरू हो चुका था. दुश्‍मन मुश्‍कोह के फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875 तक पहुंचने में कामयाब हो गया था. इस प्‍वाइंट पर दुश्‍मन की स्थिति इतनी मजबूत थी कि वह सामने से आती भारतीय सेना पर आसानी से निशाना बना सकता था. दुश्‍मन के कब्‍जे में आ चुके इस प्‍वाइंट से राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर न केवल नजर रखी जा सकती थी, बल्कि दुश्‍मन इस राजमार्ग से निकलने वाले किसी भी वाहन को अपना निशाना बना सकता था.

दुश्‍मनों की इस स्थिति के कारण लेह से हमारा संपर्क कटने का डर था. वहीं डर यह भी था कि समय रहते पाकिस्‍तानी सेना के कब्‍जे से इस प्‍वाइंट को खाली नहीं कराया गया था लद्दाख जाने वाली आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो जाएगी. अब फ्लैट टॉप प्‍वाइंट पर अपना कब्‍जा वापस लेना भारतीय फौज के लिए अनिवार्य सा हो गया था. इस प्‍वाइंट पर कब्‍जा किए बिना कारगिल की लड़ाई को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था. लिहाजा, 13 जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स को इस प्‍वाइंट पर तिरंगा फिर से फहराने की जिम्‍मेदारी दी गई.

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गोलियों की बौछार के बीच दुश्‍मन के बंकर पर किया सीधा हमला
फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875पर तिरंगा फहराने के‍ लिए जिस टीम का चुनाव किया गया था, उसमें राइफलमैन संजय कुमार भी शामिल थे. 4 जुलाई 1999 को राइफलमैन संजय कुमार ने अपने साथियों के साथ फ्लैट टॉप प्‍वाइंट 4875को फतेह करने के लिए निकल पड़े. सीधी पहाड़ी चढ़ कर दुश्‍मन की तरफ जाना मौत को गले लगाने जैसा था. बावजूद इसके, राइफलमैन संजय कुमार ने अपने साथियों के साथ इसी रास्‍ते दुश्‍मन से मोर्चा लेने के लिए निकल पड़े. 

अब दुश्‍मन की दूरी भारतीय सेना से महज 150 मीटर दूर रह गई थी. इसी बीच, दुश्‍मन की निगाह राइफलमैन संजय और उनके साथियों पर पड़ गई.  दुश्‍मनों ने मशीनगन से जम्‍मू और कश्‍मीर राइफल्‍स की इस बहादुर टीम गोलियों की बरसात करना शुरू कर दी. इस गोलाबारी के बीच भारतीय सेना का आगे बढ़ना मुश्किल हो गया. मुश्किल भरे इस वक्‍त में राइफलमैन संजय कुमार ने एक बड़ा फैसला किया. यह फैसला अचानक दुश्‍मन के बंकरों पर सीधा हमले का था. 

वीरता के लिए परमवीर चक्र से सम्‍मानित हुए राइफलमैन संजय कुमार
इस हमले में शामिल जोखिमों को जानते राइफलमैन संजय कुमार का यह फैसला उनकी बहादुरी को दर्शाता था. अपनी योजना के तहत राइफलमैन संजय कुमार ने दुश्‍मन के एक बंकर पर हमला कर दिया. हमले में उन्‍होंने अकेले तीन पाकिस्‍तानी सैनिकों को मार गिराया. इसके बाद इस बंकर में लगी मशीनगन उठाकर दूसरी चौकी पर मौजूद आतंकियों को ढेर कर दिया. राइफलमैन संजय कुमार की इस जांबाजी को देखकर आतंकियों के भेष में मौजूद आतंकियों की पसीने छूट गए. वह बंकर मशीनगन छोड़कर भागने लगे. इसी बीच राइफलमैन संजय कुमार दुश्‍मनों की इस मशीनगन से दूसरी चौकी पर मौजूद दुश्‍मनों को मार गिराया. 

अब तक, इस युद्ध में राइफलमैन गंभीर रूप से घायल हो चुके थे. बावजूद इसके, उन्‍होंने अपना ऑपरेशन तब तक नहीं छोड़ा, जब तक आखिरी दुश्‍मन को उन्‍होंने समाप्‍त नहीं कर दिया. राइफलमैन संजय कुमार की इस वीरता के चलते भारतीय सेना ने एकबार फिर 4875 प्‍वाइंट पर अपना दोबारा स्‍थापित कर भारतीय तिरंगा फहरा दिया. राइफल मैन की इस बहादुरी के लिए उ‍न्‍हें सेना के सर्वोच्‍चा पुरस्‍कार परमवीर चक्र से सम्‍मानित किय गया.

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