ट्रैक्टर ड्राइवर की बेटी का कमाल, बनी सबसे छोटी उम्र की कबड्डी प्लेयर
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ट्रैक्टर ड्राइवर की बेटी का कमाल, बनी सबसे छोटी उम्र की कबड्डी प्लेयर

Khelo India Youth Games: झारखंड के दुमका में एक छोटे से गांव में ट्रैक्टर चलाने वाले की बेटी ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में इतिहास रच दिया है. उसने सबसे छोटी उम्र की कबड्डी प्लेयर का खिताब अपने नाम किया है.

ट्रैक्टर ड्राइवर की बेटी का कमाल, बनी सबसे छोटी उम्र की कबड्डी प्लेयर

Dumka Girl Etu Mandal: झारखंड की छोटी सी बच्ची एतू मंडल ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में इतिहास रच दिया है. एतू ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के मौजूदा संस्करण में सबसे कम उम्र में प्रवेश कर इतिहास रच दिया है. 13 साल की कबड्डी खिलाड़ी ने KIYG में अपना पहला रेड करने से पहले ही रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया. एतू के पिता ट्रैक्टर चलाकर परिवार का पालन करते हैं.

8 साल की उम्र से ही कबड्डी से प्यार

ट्रैक्टर चालक की बेटी एतू मंडल को 8 साल की उम्र में ही कबड्डी से प्यार हो गया था. अपने आस-पास की महिलाओं से प्रभावित होकर वह अंडर -18 यूथ टीम का हिस्सा बनने के लिए तेजी से आगे बढ़ी. एतू ने महाराष्ट्र के खिलाफ अपनी टीम के पहले मैच के बाद बताया कि मेरे माता-पिता मेरे लिए चिंतित थे. लेकिन मैं कभी नहीं डरी.

छोटी बहन को भी कबड्डी पसंद

हालांकि एतु मंडल का 'रिकॉर्ड' ज्यादा दिन नहीं चल सकता. उससे पांच साल छोटी उसकी बहन को भी कबड्डी पसंद है और वह पहले से ही एक अच्छी खिलाड़ी बन रही है. झारखंड के दुमका जिले के मधुबन गांव की रहने वाली एतू ने बताया कि मैं परिवार में सबसे बड़ी हूं. लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे पूरी छूट दी है. उन्होंने मुझ पर परिवार की जिम्मेदारियां निभाने का कोई दबाव नहीं डाला.

'मैं एक कोच बनना चाहती हूं'

एतू को खेल में अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन वह पहले से ही जानती है कि जब वह खेलना बंद करेगी तो क्या करेगी. एतू ने कहा कि मैं एक कोच बनना चाहती हूं. जैसे ही मैं खेल के बारे में पर्याप्त सीख लूंगी, मैं कोचिंग शुरू कर दूंगी. मैं युवाओं के साथ काम करना चाहती हूं, उन्हें कबड्डी से प्यार करने में मदद करना चाहती हूं.

कबड्डी देश में बड़ा खेल बनकर उभरा

हाल के वर्षों में कबड्डी देश में बड़ा खेल बनकर उभरा है. इसने न केवल ग्रामीण भारत में युवाओं को एक बड़ा मंच दिया है बल्कि कई लोगों को मेगा-स्टार में बदल दिया है. उनमें से कुछ रातोंरात सुपर रिच भी बन गए हैं. 2016 में, महिलाओं के लिए एक पेशेवर कबड्डी लीग शुरू की गई थी, जिससे युवा लड़कियां इस खेल के प्रति आकर्षित हुई थीं.

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