बीते साल पांच अगस्त से ही उमर अब्दुल्ला (49) और महबूबा मुफ्ती (60) को एहतियातन हिरासत में रखा गया है.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के समय हिरासत में लिए गए पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से कहा कि क्या आप उमर अब्दुल्ला को रिहा कर रहे हैं अगर हां तो उन्हें जल्द रिहा कर रहे हैं. या फिर हम उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करें? बता दें कि बीते साल पांच अगस्त से ही उमर अब्दुल्ला (49) और महबूबा मुफ्ती (60) को एहतियातन हिरासत में रखा गया है.
इससे पहले बीते शनिवार को हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को रिहा किया गया. उन पर लगाया गया पब्लिक सेफ्टी एक्ट भी हटा दिया गया है. वह करीब सात महीने से हिरासत में थे. बाहर निकलने के बाद उन्होंने कहा कि मेरी आजादी तब तक अधूरी है, जब तक उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती व अन्य नेताओं की रिहाई नहीं हो जाती.
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आपको बता दें कि 2 मार्च को जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी थी. मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट दी जिसमें जम्मू कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों की पूरी जानकारी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट देखने के बाद वह मामले की सुनवाई करेगा. उमर अब्दुल्ला की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और उन्हें रिहा करने की मांग की है.
सारा अब्दुल्ला ने अपनी याचिका में सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर सुरक्षा अधिनियम 1978 के खिलाफ अपील की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अब्दुल्ला को हिरासत में रखना 'स्पष्ट रूप से गैरकानूनी' है. नजरबंदी के आदेश में बताई गई बातें पर्याप्त नहीं जो इस तरह के आदेश के लिए जरूरी हैं. सारा ने इसके साथ ही 5 फरवरी के सरकारी पीएसए आदेश को निरस्त करने की भी दरख्वास्त की है.
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इसके साथ ही, सारा ने सरकार पर लोगों के जीवन का अधिकार छीनने का आरोप लगाया है. पायलट ने कहा कि प्रशासन ने यह सुनिश्चित करने के लिए नजरबंद किया था जिससे संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के खिलाफ विरोध को दबाया जा सके. शांति व्यवस्था बहाल रखने को लेकर उनसे किसी खतरे का सवाल ही नहीं उठता.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि इस शक्ति का इस्तेमाल करने का उद्देश्य न केवल उमर अब्दुल्ला को कैद में रखने के लिए, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूरे नेतृत्व को और साथ ही अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेतृत्व को कैद में रखने का है. इसी तरह का व्यवहार फारूक अब्दुल्ला के साथ किया गया है जिन्होंने वर्षों तक राज्य और केंद्र की सेवा की. जब भी जरूरत पड़ी, भारत के साथ खड़े हुए.
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