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मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधान सभा से 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि एक सत्र से ज्यादा का निलंबन सदन के अधिकार में नहीं आता है. विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ है. इसके साथ ही अदालत ने विधायकों के निलंबन को रद्द कर दिया. इस फैसले के बाद भाजपा के सदस्य खुशी से झूम उठे और महाविकास अघाड़ी सरकार ने सतर्क प्रतिक्रिया व्यक्त की.
सत्तारूढ़ शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस के नेताओं ने निलंबन को विधायिका का निर्णय बताया, जिसके पास कार्रवाई करने की शक्ति है, जबकि भाजपा ने शीर्ष अदालत के फैसले को MVA सरकार के लिए एक कड़ा झटका करार दिया. शिवसेना सांसद और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने कहा, महाराष्ट्र विधानमंडल के पास विधायकों को निलंबित करने की शक्ति है या उस मामले के लिए लोक सभा और राज्य सभा भी सांसदों को निलंबित कर सकते हैं, यह उनकी शक्तियों के भीतर है.
NCP के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अब यह अदालत और विधायी निकायों के क्षेत्राधिकार, देश भर की विधायिकाओं और संसद से संबंधित मुद्दा है. मलिक ने कहा, राज्य विधान मंडल सचिवालय उस आदेश का अध्ययन करेगा, जिसके बाद अध्यक्ष मामले में फैसला लेंगे.
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कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख नाना पटोले जो खुद एक पूर्व अध्यक्ष हैं. उन्होंने भी कहा कि विधानमंडल सचिवालय मामले में आगे बढ़ने से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करेगा. राउत ने कहा कि इस मामले में कोई भी निर्णय विधान सभा अध्यक्ष द्वारा लिया जाएगा, जिन्होंने उस समय अपने कक्ष में हाथापाई के बाद निलंबन पर अपना फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह उनका (अध्यक्ष का) अधिकार है. कानून और संविधान के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं. निलंबित विधायकों और उनकी पार्टी (भाजपा) को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है.
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आपको बता दें कि 5 जुलाई 2021 को, राज्य विधान सभा के मानसून सत्र के दौरान, 12 भाजपा विधायकों को कथित दुर्व्यवहार करने और तत्कालीन पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के लिए अपमानजनक भाषा का उपयोग करने पर निलंबित कर दिया गया था. सदन में OBC कोटा के मुद्दे पर एक चर्चा के दौरान यह घटनाक्रम हुआ था.
दर्जन भर विपक्षी विधायकों को निलंबित करने के कदम ने बड़े पैमाने पर हंगामा कर दिया था और पार्टी निलंबन को रद्द करने के लिए बार-बार MVA के साथ इस मुद्दे को उठाती रही है. इन विधायकों में आशीष शेलार, जयकुमार रावल, अतुल भटकलकर, पराग अलवानी, गिरीश महाजन, योगेश सागर, राम सतपुते, संजय कुटे, अभिमन्यु पवार, शिरीष पिंपल, नारायण कुचे और कीर्तिकुमार बगड़िया शामिल हैं. बाद में भाजपा के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) शेलार ने इस मामले में शीर्ष अदालत का रुख किया.
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