तीस हजारी कोर्ट हिंसा: SC ने पुलिस और वकीलों को लगाई डांट, कहा- एक हाथ से ताली नहीं बजती
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तीस हजारी कोर्ट हिंसा: SC ने पुलिस और वकीलों को लगाई डांट, कहा- एक हाथ से ताली नहीं बजती

 सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीस हज़ारी कोर्ट हिंसा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, 'ताली एक हाथ से नहीं बजती'. 

सुुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: ओडिशा (Odisha) के वकीलों की हड़ताल पर सुनवाई के दौरान आज तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court) हिंसा का मसला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उठा. सुप्रीम कोर्ट ने तीस हज़ारी कोर्ट हिंसा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, 'ताली एक हाथ से नहीं बजती'. कमियां दोनों पक्षों में हैं. बेहतर है कि हम इस मसले में कुछ न कहें. दरअसल, उड़ीसा में हुए वकीलों की हड़ताल से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने तीस हज़ारी कोर्ट हिंसा मामले में पुलिस की ज़्यादती का मामला उठाया था. सुनवाई के दौरान मनन कुमार मिश्रा ने कोर्ट से कहा कि हमें उम्मीद है कि दो दिनों में इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

आपको बता दें कि, 2 नवंबर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट परिसर में पुलिस लॉकअप के पास पार्किंग को लेकर एक वकील से विवाद हो गया था. इसके बाद वहीं पुलिस और वकीलों के बीच दंगे जैसे हालात बन गए थे और वकीलों ने पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी थी. इतना ही नहीं महिला अधिकारियों के साथ भी बदसलूकी और धक्का-मुक्की के वीडियो और हिंसा के कई वीडियो सामने आए हैं. इस मामले पर मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है. वहीं इस घटाना के विरोध में पुलिसकर्मियों ने हेडक्वार्टर के सामने प्रदर्शन भी किया था.  

इस घटना के अगले दिन 3 नवंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायिक जांच के आदेश दिए थे. हाई कोर्ट ने न्यायिक जांच रिटायर्ड जज एसपी गर्ग के नेतृत्व में कराने का फैसला लिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि वकीलों और पुलिस के बीच हुई इस हिंसक झड़प की जांच में सीबीआई के डायरेक्टर, आईबी के डायरेक्टर, विजिलेंस डायरेक्टर और सीनियर अधिकारियों की मदद ली जाएगी. 

इसके अलावा हाई कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को घायल वकीलों के बयान दर्ज करने के भी आदेश दिए थे. हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि मामले में आरोपित पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर जांच के लिए कमेटी का गठन किया जाए और यह कमेटी अगले 6 सप्ताह में जांच पूरी कर हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपे.

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