Maharashtra Political Crisis: असल शिवसेना के दावे पर EC अभी नहीं ले फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा
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Maharashtra Political Crisis: असल शिवसेना के दावे पर EC अभी नहीं ले फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा

Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सियासी संग्राम से जुड़ी सभी अर्जियों पर 8 अगस्त को फैसला लेगा. अभी कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो अभी शिंदे ग्रुप की ओर से असल शिवसेना होने के दावे पर कोई फैसला न ले.

Maharashtra Political Crisis: असल शिवसेना के दावे पर EC अभी नहीं ले फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा

Maharashtra Political Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वो अभी शिंदे ग्रुप की ओर से असल शिवसेना होने के दावे पर कोई फैसला न ले. कोर्ट में लंबित महाराष्ट्र सियासी संग्राम से जुड़ी सभी अर्जियों को आगे सुनवाई के लिए संविधान पीठ को सौंपा जाए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट 8 अगस्त को फैसला लेगा. चुनाव आयोग में 8 अगस्त को इसको लेकर अगली सुनवाई होनी थी. कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो ऐसी सूरत में चुनाव आयोग उद्धव ठाकरे कैंप के सुनवाई टालने के आग्रह पर विचार कर सकता है.

कोर्ट में लंबित अर्जियां

सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे और शिंदे ग्रुप की ओर से दायर याचिकाओं में विधायकों की अयोग्यताए, राज्यपाल की तरफ से शिंदे गुट को आमंत्रण देने, विश्वास मत में शिवसेना के 2 व्हिप जारी होने, चुनाव चिन्ह आवंटित करने चुनाव आयोग की कार्रवाई रोकने जैसे कई मसलों को उठाया गया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को उन मुद्दों को लिखित तौर में देने को कहा था, जिन पर वो कोर्ट से विचार की उम्मीद करते हैं. 

शिंदे ग्रुप की दलील

शिंदे ग्रुप की ओर से हरीश साल्वे ने आज कोर्ट में विचार के लिए बिंदुओं का संकलन जमा कराया. सुप्रीम कोर्ट में शिंदे ग्रुप का कहना है कि उनके कैंप के विधायकों ने पार्टी छोड़ी नहीं है. वो शिवसेना में ही हैं. उनका अंसतोष सिर्फ पार्टी के पुराने नेतृत्व से है. इस लिहाज से उनके विधायको के अयोग्य साबित होने का कोई सवाल नहीं उठता. दलबदल कानून कोई ऐसा हथियार नहीं हो सकता जिसके जरिए बहुमत खो चुका नेता भी अपने पक्ष में विधायकों को बांधे रखे.

आज भी हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि अगर स्पीकर अयोग्यता की कार्रवाई पर फैसला लेने में वक्त लेते हैं, तो क्या इस बीच विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे क्या इस बीच लिए गए तमाम फैसले अवैध होंगे?

सुप्रीम कोर्ट का सवाल

हरीश साल्वे की दलीलों के बीच चीफ जस्टिस एन वी रमना ने कहा कि ऐसी सूरत में पार्टी व्हिप का क्या मतलब रह जायेगा. क्या एक बार चुने जाने के बाद पार्टी का विधायक पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता. हम पार्टी को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकते. ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. साल्वे ने एक बार फिर दोहराया कि शिंदे ग्रुप ने पार्टी को छोड़ा नहीं है. वो पार्टी में ही है. दलबदल कानून मतलब पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का खत्म होना नहीं है.

उद्धव ठाकरे ग्रुप की दलील

उद्धव ठाकरे ग्रुप का कहना है कि शिंदे ग्रुप के विधायक पार्टी के खिलाफ जाकर, पार्टी को छोड़ चुके हैं. इस लिहाज से उनका असल शिवसेना होने का दावा बेमानी है. चूंकि शिंदे ग्रुप के विधायकों ने बीजेपी के साथ विलय नहीं किया है. इस लिहाज से वो विधानसभा की सदस्यता के लिए भी अयोग्य ही हैं.

इस पर चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि अगर पार्टी के दो ग्रुप अपने आप को ही असल पार्टी होने का दावा कर रहे है तो क्या वो खुद को ही पार्टी के तौर पर मान्यता देने का दावा नहीं कर सकते.
सिब्बल ने इस पर कहा कि उद्धव ठाकरे कैंप का दावा है कि 50 में से 40 विधायक उनके पास है यानी बहुमत का आंकड़ा उनके पास होने के चलते वो ही असल शिवसेना है, लेकिन अगर यह विधायक अयोग्य साबित हो जाते हैं ,तब ऐसी सूरत में क्या होगा? तब इस दावे का क्या आधार रह जाएगा. उद्धव ठाकरे कैंप की ओर से दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने  कहा कि जब तक मामला कोर्ट में पेंडिंग है, तब तक चुनाव आयोग को असल शिवसेना के दावे पर कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.

चुनाव आयोग ने भी अपना पक्ष रखा

चुनाव आयोग की ओर से वकील अरविंद दत्तार पेश हुए. उन्होंने कहा कि अगर कोई गुट असल पार्टी होने का दावा करता है तो आयोग को फैसला लेना होता है. दलबदल कानून का दायरा अलग है. अगर विधायक अयोग्य साबित हो जाते हैं तो उनकी विधानसभा सदस्यता जाएगी, राजनैतिक पार्टी से उनकी सदस्यता नहीं. विधानसभा में जो कुछ हो रहा है, उसकी राजनीतिक पार्टी की सदस्यता से कोई मतलब नहीं है.

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