Justice BV Nagarathna Of Supreme Court: एक मामले पर सुनवाई के दौरान, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान जब उनकी सैलरी आती है तो उन्हें बहुत बुरा लगता है.
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Supreme Court News: देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट, हर साल गर्मियों के सीजन में बंद रहती है. गर्मी की छुट्टियों के दौरान, जजों को मामलों पर सुनवाई के लिए अदालत नहीं आना पड़ता. SC के जजों को मिलने वाली ये छुट्टियां 'पेड' होती हैं और जस्टिस बीवी नागरत्ना को इसी बात का मलाल है. गर्मी की छुट्टियों के महीनों में जब सैलरी आती है तो वह ग्लानि महसूस करती हैं. सुप्रीम कोर्ट की जज ने मंगलवार को एक मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
'सैलरी आती है तो बुरा लगता है'
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा, 'मुझे गर्मी की छुट्टियों में सैलरी मिलने पर बहुत बुरा लगता है, क्योंकि मैं जानती हूं कि हमने उस दौरान काम नहीं किया है.' SC जज ने यह टिप्पणी उन सिविल जजों को पिछली सैलरी देने से इनकार करते हुए की, जिन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल पर बहाल किया गया था.
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'काम नहीं किया तो सैल क्यों दें?'
सुनवाई के दौरान, एमिकस क्यूरी सीनियर एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच को बताया कि चार जजों की बर्खास्तगी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है. बाकी दो जजों को फुल कोर्ट ने बरकरार रखा है. इसी के बाद, सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने गुहार लगाई कि जिस दौरान जज सेवा में नहीं थे, उस अवधि के लिए बकाया वेतन देने पर SC विचार करे. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि चूंकि जजों ने बर्खास्तगी के दौरान काम नहीं किया, इसलिए उन्हें पिछली सैलरी नहीं दे जा सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला दिया
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'जज जिस तरह का काम करते हैं... आप जानते हैं कि जिन लोगों को बहाल किया जा रहा है, वे पिछले वेतन की उम्मीद नहीं कर सकते. जब उन्होंने जज के रूप में काम नहीं किया, तो हम उन्हें पिछला वेतन नहीं दे सकते. हमारा विवेक इसकी इजाजत नहीं देता.' इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह जल्द आदेश जारी करे ताकि चारों जज यथाशीघ्र ड्यूटी पर वापस आ सकें.