गौरक्षक समूहों पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
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गौरक्षक समूहों पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने गौरक्षक समूहों पर रोक को लागू करने के लिए हर जिले में एक पुलिस अधिकारी की नियुक्ति के बारे में राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को निर्देश देने के संबंध में कोई आदेश देने से बुधवार (3 मई) को इंकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि वह पहले केंद्र तथा राज्य सरकारों से जवाब मांगेगा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि इस मोड़ पर, केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी के बिना वह राज्यों के डीजीपी को निर्देश दिए जाने के बारे में कोई आदेश नहीं जारी कर सकती कि ऐसे समूहों पर रोक लागू करने के लिए पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की जाए.

सात अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने छह राज्यों से याचिका पर तीन हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा था.

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गौरक्षक समूहों पर रोक को लागू करने के लिए हर जिले में एक पुलिस अधिकारी की नियुक्ति के बारे में राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को निर्देश देने के संबंध में कोई आदेश देने से बुधवार (3 मई) को इंकार कर दिया. न्यायालय ने कहा कि वह पहले केंद्र तथा राज्य सरकारों से जवाब मांगेगा. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि इस मोड़ पर, केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी के बिना वह राज्यों के डीजीपी को निर्देश दिए जाने के बारे में कोई आदेश नहीं जारी कर सकती कि ऐसे समूहों पर रोक लागू करने के लिए पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति की जाए.

पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एम एम शांतनागौदार भी शामिल हैं. पीठ ने कहा कि अब तक अपने जवाब नहीं दाखिल करने वाले पांच राज्यों और केंद्र को छह हफ्तों में जवाब दाखिल करना चाहिए. वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने न्यायालय को सूचित किया कि याचिका के सिलसिले में अब तक सिर्फ कर्नाटक ने ही जवाब दाखिल किया है. राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड और उत्तर प्रदेश ने अब तक जवाब दाखिल नहीं किए हैं.

उन्होंने कहा कि जब तक राज्य सरकारें अपने जवाब दाखिल करती हैं, राज्यों के पुलिस प्रमुखों को पुलिस अधिकारी की नियुक्ति का निर्देश दिया जाना चाहिए जिससे उन समूहों पर रोक सुनिश्चित हो सके क्योंकि हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. पीठ ने कहा, ‘नहीं, हम इस तरह आदेश नहीं जारी कर सकते. पहले हमें देखना होगा कि केंद्र तथा राज्य सरकारों की क्या प्रतिक्रिया है. जवाब आने दीजिए.’ 

पीठ ने अगली सुनवाई के लिए मामले को ग्रीष्मावकाश के बाद के लिए स्थगित कर दिया और गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) विश्व गौ रक्षक वाहिनी को पक्ष के रूप में शामिल होने के लिए अनुमति दे दी. एनजीओ ने याचिका को खारिज करने की मांग की थी. सात अप्रैल को उच्चतम न्यायालय ने छह राज्यों से याचिका पर तीन हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा था.

शीर्ष अदालत पिछले साल 21 अक्तूबर को याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया था. याचिका में गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी जो दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में कथित तौर पर शामिल हैं. कार्यकर्ता टी एस पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा कि ऐसे गौरक्षक समूहों द्वारा की जा रही हिंसा ऐसे मुकाम पर पहुंच गयी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें ऐसे लोग बताया था जो ‘समाज को नुकसान’ पहुंचा रहे हैं.

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