Train लेट होने से छूटी यात्री की Flight, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को दिया ये आदेश
Advertisement
trendingNow1982347

Train लेट होने से छूटी यात्री की Flight, सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को दिया ये आदेश

ट्रेनों की लेटलतीफी आम बन चुकी है. रेलवे भले ही तमाम दावे करे, लेकिन हकीकत यही है कि इस मामले में उसे कभी काफी कुछ करने की जरूरत है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया है कि पीड़ित यात्री को बतौर मुआवजा 30 हजार रुपए दिए जाएं. ट्रेन लेट होने से यात्री की फ्लाइट छूट गई थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: ट्रेनों की लेटलतीफी पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रेलवे (Railway) को आदेश दिया है कि बतौर हर्जाना शिकायतकर्ता को 30 हजार रुपए दिए जाएं. दरअसल, अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस चार घंटे लेट होने की वजह से उसमें सवार एक यात्री की टैक्स की फ्लाइट छूट गई थी. इसी संबंध में कोर्ट ने रेलवे को हर्जाना भरने का आदेश दिया है. 

  1. चार घंटे देरी से पहुंची थी ट्रेन 
  2. यात्री को जम्मू से जाना था श्रीनगर
  3. टैक्सी से करना पड़ा था सफर 
  4.  

हर जगह हुई Passenger की जीत 

शिकायतकर्ता ने सबसे पहले अलवर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम का दरवाजा खटखटाया था, जिसने माना की रेलवे (Railway) की वजह से यात्री को नुकसान उठाना पड़ा. फोरम ने शिकायतकर्ता को मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके बाद मामला राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, नई दिल्ली पहुंचा, वहां भी फैसला यात्री के पक्ष में आया. इस पर नॉर्दन रेलवे ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी थी, जिस पर जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस (Justices MR Shah and Aniruddha Bose) ने फैसला सुना दिया है.

ये भी पढ़ें -Shahjahanpur: स्कूल में हाथों पर बंधा कलावा काटा, भड़की VHP ने की प्रिंसिपल पर एक्शन की मांग

इस तरह देना होगा हर्जाना

कोर्ट ने कहा है कि नॉर्दन रेलवे को 15 हजार रुपए टैक्सी खर्च के तौर पर, 10 हजार रुपए टिकट खर्च और 5 हजार रुपए मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने होंगे. ट्रेन लेट होने की वजह से शिकायतकर्ता की फ्लाइट छूट गई थी. उसे टैक्सी से श्रीनगर जाना पड़ा और हवाई टिकट के रूप में 9 हजार रुपए का नुकसान भी हुआ था. इसके अलावा डल झील में शिकारा की बुकिंग के 10 हजार रुपए भी चले गए थे.

Railway का कोई तर्क नहीं चला 

मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने रेलवे का बचाव करते हुए तर्क दिया कि ट्रेन के देरी से चलने को रेलवे की सेवा में कमी नहीं कहा जा सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि रेलवे को इस बात के सबूत देने होंगे और बताना होगा कि ट्रेन लेट होने की वजह नियंत्रण से बाहर थी. हालांकि, रेलवे ऐसा करने में विफल रहा. 

Court ने फैसले में ये कहा

अपने फैसले में बेंच ने कहा, इस पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि हर यात्री का समय कीमती है और संभव है कि उसने आगे की यात्रा के लिए टिकट लिया हो, जैसा कि मौजूदा केस में हुआ. ये प्रतिस्पर्धा और जवाबदेही का समय है. यदि सरकारी परिवहन को जीवित रहना है और प्राइवेट प्लेयर्स से मुकाबला करना है तो उन्हें अपने सिस्टम और कार्य संस्कृति में सुधार लाना होगा. नागरिकों और यात्रियों को प्रशासन की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता. किसी को तो जवाबदेही लेनी पड़ेगी’.

 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news