एक लॉ स्टूडेंट की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जजों को योर ऑनर बोलने पर आपत्ति जताई है. जस्टिस का कहना है कि जब कोई इस शब्द का प्रयोग करता है तो उसके दिमाग में यूएन का सुप्रीम कोर्ट होता है.
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नई दिल्ली: जजों को योर ऑनर (Your Honour) बोलने पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को लॉ के एक छात्र को कड़ी फटकार लगाई. चीफ जस्टिस एसए बोबडे (Sharad Arvind Bobde) की पीठ ने कहा, 'जब आप हमें योर ऑनर कहते हैं, तो आपके दिमाग में या तो यूनाइटेड स्टेट्स (UN) का सुप्रीम कोर्ट है या मजिस्ट्रेट है.'
इस पर याचिकाकर्ता ने तुरंत माफी मांगी और कहा कि उनका जजों को अपसेट करने का कोई इरादा नहीं था. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अपने मामले पर बहस करते हुए 'माई लॉर्डस' का इस्तेमाल करेगा. इस पर चीफ जस्टिस ने जवाब दिया, 'जो भी हो. हम विशेष नहीं हैं कि आप हमें क्या कहते हैं. लेकिन गलत शब्दों का उपयोग न करें.'
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गौरतलब है कि कानून के छात्र ने सबऑर्डिनेट ज्यूडिशरी में वैकेंसी को दाखिल करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम ने स्टूडेंट को समझाते हुए कहा कि उनके तर्क में कुछ महत्वपूर्ण गायब है और वह इस मामले में अपना होमवर्क किए बिना अदालत में आए हैं. उन्होंने पाया कि याचिकाकर्ता मलिक मजहर सुल्तान केस में निर्देशों को भूल गए हैं कि सबऑर्डिनेट ज्यूडिशरी में वैकेंसियां निर्धारित समय-सीमा के अनुसार की जाती हैं.
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जिसके बाद पीठ ने मामले को स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस केस को अच्छे से स्टडी करे और बाद में वापस आ जाए. हालांकि अदालत ने याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और बहस करने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता के अनुरोध पर, 4 हफ्ते के बाद मामले को लिस्ट किया जाए.'
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