लापता हुई मंदिर की 47,000 एकड़ जमीन, HC ने फटकारा तो एक्शन में आई Tami Nadu सरकार
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लापता हुई मंदिर की 47,000 एकड़ जमीन, HC ने फटकारा तो एक्शन में आई Tami Nadu सरकार

मंदिर की 47000 एकड़ जमीन लापता होने के मामले में कार्रवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई. इसके बाद से ही तमिलनाडु सरकार एक्शन में है और जमीन वापस पाने के लिए कदम उठा रही है. 

फाइल फोटो.

चेन्नई: तमिलनाडु (Tamil Nadu) में साल 1984 और 2019 के बीच मंदिर की 47,000 एकड़ जमीन लापता होने पर मंगलवार को मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) से राज्य सरकार को फटकार लगने के बाद वह खोई जमीन को वापस पाने के लिए कदम उठा रही है. 

5 जुलाई तक दायर करना है हलफनामा

मद्रास हाई कोर्ट की एक खंडपीठ जिसमें जस्टिस एन किरुबाकरण और जस्टिस टीवी थमिलसेल्वी शामिल थे, उन्होंने राज्य सरकार को हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर और सीई) विभाग की ओर से कार्रवाई करने और जुलाई 5 तक सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार लापता 47000 एकड़ मंदिर भूमि पर एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था. 

'मकान मालिक को बनाया जाएगा किराएदार'

तमिलनाडु के मानव संसाधन और सीई मंत्री पीके शेखर बाबू ने बताया कि, 'सीएम एमके स्टालिन (M. K. Stalin) चाहते हैं कि मंदिर की भूमि को बहाल किया जाए और मंदिरों के हितों का ध्यान रखा जाए. हमने पाया है कि मंदिर की जमीन पर कुछ क्षेत्र में घरों का निर्माण किया गया था. हम यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि ये मकान मालिक किरायेदार बन जाएं और मंदिर को किराया दें.'

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वेबसाइट पर देख सकेंगे जमीन की जानकारी

एचआर एंड सीई विभाग ने पुष्टि की कि सरकार मंदिर की भूमि को बहाल करने की तैयारी में है, और पहले से ही 3,43,647 एकड़ मंदिर भूमि की जानकारी सत्यापित की जा चुकी है. विभाग ने अपने पास उपलब्ध आंकड़ों और राज्य की भूमि रिकॉर्ड रजिस्ट्री में तमिलनाडु सरकार के राजस्व विभाग के साथ तुलना की है. एचआर एंड सीई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, 'हमने वेबसाइट पर राज्य के हजारों मंदिरों से संबंधित शीर्षक दस्तावेजों, चिट्टों और यहां तक कि उपहार कार्यों की जानकारी पहले ही अपलोड कर दी गई है. अब लोग आसानी से मंदिरों के साथ भूमि की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं.'

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'भाजपा शुरू कर सकती है राज्यभर में आंदोलन'

भाजपा नेता और पार्टी प्रवक्ता केटी राघवन ने कहा, 'हमें देखना होगा कि तमिलनाडु सरकार (Tamil Nadu Government) इस संबंध में कितनी गंभीर है. मद्रास हाई कोर्ट ने मानव संसाधन और सीई विभाग को पहले ही मंदिर भूमि रिकॉर्ड की असमानता के संबंध में एक जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. राज्य सरकार के नीति नोटों में 1984 में जब यह 5.25 लाख एकड़ थी और 2019-20 में जब इसे 4.78 लाख एकड़ कर दिया गया था, जिसमें 47,000 एकड़ का अंतर देखने को मिला. यदि सरकार अतिक्रमणकारियों से मंदिर की भूमि को दोबारा प्राप्त करने के लिए कदम नहीं उठाती भाजपा राज्य भर में बड़े आंदोलन शुरू करेगी.'

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