आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने तमिलनाडु में राज्यव्यापी अभियान चलाया है. इसके तहत उन्होंने सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टियों से मांग की है कि सरकार राज्य के 44,121 मंदिरों पर से अपना कब्जा छोड़ दे.
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चेन्नई: आध्यात्मिक गुरु और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरू जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने तमिलनाडु में राज्यव्यापी अभियान चलाया है. इसके तहत उन्होंने सरकार और अन्य राजनीतिक पार्टियों से मांग की है कि सरकार राज्य के 44,121 मंदिरों पर से अपना कब्जा छोड़ दे. उन्होंने कहा कि सरकारी कब्जे की वजह से हमारी पुरानी सांस्कृतिक विरासत खत्म हो रही है. मंदिर खस्ताहाल हो गए हैं. सरकार न तो उनका ख्याल रख रही है और न ही इन मंदिरों के उद्धार के लिए कोई कदम उठा रही है. ऐसे में उन्होंने राज्य के निवासियों से अपील की है कि वो राज्य सरकार व अन्य राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाए कि वो राज्य के इन मंदिरों को लेकर क्या रोडमैप बना रही हैं.
तमिल सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता संथानम के साथ बातचीत के दौरान जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों को सोचना चाहिए कि उनके प्राचीन और दिव्य मंदिरों की हालत खराब क्यों हो रही है? क्यों सरकार के कंट्रोल में होने की वजह से और देखदेख में सरकारी उदासीनता की वजह से उनकी हालत खराब है? उन्होंने कोर्ट में तमिलनाडु सरकार के HR&CE विभाग की तरफ से रखे गए आंकड़ों को आधार बनाकर अपनी बात रखी और कहा कि राज्य में 44,121 प्राचीन मंदिर मौजूद हैं. तमिलनाडु सरकार ने बताया कि 11,999 ऐसे मंदिर है जहां वित्तीय संकट के चलते एक बार भी पूजा नहीं हुई, जबकि 34 हजार ऐसे मंदिर थे, जिनकी सालाना आय 10,000 से भी कम थी. इसके अलावा 37,000 ऐसे मंदिर थे जिनमें पूजा, केयरटेकिंग, सिक्योरिटी और क्लीनिंग की जिम्मेदारी सिर्फ एक आदमी पर थी.
ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने सेकुलरिज्म की परिभाषा भी बताई. उन्होंने कहा, 'सेकुलरिज्म का मतलब है सरकार में धर्म का ना होना और धार्मिक मामलों में सरकार का न होना. इसके बावजूद मंदिरों का प्रबंधन सरकार क्यों कर रही है? जबकि वो कायदे से न तो होटल्स चला पा रही है और न ही एयरलाइंस.'
सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में 20-25 सदस्यों का एक बोर्ड बनाया जाए. इसके लिए दीर्घकालीन योजना के तहत काम किया जाए और मंदिरों को बचाया जाए. इस दौरान संथानम ने जब उनसे पूछा कि चुनाव से पहले आप ये बात क्यों उठा रहे हैं? क्या इसके पीछे की कोई खास वजह है? इस पर जग्गी महाराज ने कहा कि चुनाव के समय ही हमें अपनी मांगों को सामने रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम अभी तो चुप रहते हैं, और बाद में इन मुद्दों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं. ऐसे में लोगों को परेशानी होती है. मैंने इस विषय पर मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष दोनों को ही पत्र लिखे हैं और उनसे मंदिरों की स्थिति पर उनकी योजनाओं को जनता के सामने लाने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद नेता और चुने हुए प्रतिनिधियों का ध्यान इस तरफ नहीं जाता.
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सद्गुरु जग्गी वासुदेवने तमिलनाडु के लोगों के लिए एक नंबर - 83000 83000 जारी किया है और मिस्ड कॉल के माध्यम से अपना समर्थन जताने के लिए कहा है. इस बीच जब संथानम ने पूछा कि क्या मिस्ड कॉल से मंदिरों की हालत सुधर जाएगी? इस पर जग्गी महाराज ने कहा कि मिस्ड कॉल से लोगों की एकजुटता का पता चलेगा. लोगों में जागरुकता आएगी. सब लोगों को साथ आना होगा. मिस्ड कॉल अभियान का मकसद जागरुकता लाना है. इस बातचीत के दौरान संथानम ने भी मंदिरों की खराब स्थिति को लेकर अपना अनुभव सामने रखा और कहा कि वो इस अभियान में उनके साथ हैं. संथानम ने कहा कि उन्होंने कुछ मंदिरों को अपनी क्षमता के मुताबिक आर्थिक मदद भी पहुंचाई है.