सरकार कृषि कानूनों को 26 नवंबर तक रद्द करें, नहीं तो किलेबंदी के साथ आंदोलन करेंगे तेज: टिकैत
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सरकार कृषि कानूनों को 26 नवंबर तक रद्द करें, नहीं तो किलेबंदी के साथ आंदोलन करेंगे तेज: टिकैत

आने वाले 26 नवंबर को किसान आंदोलन को शुरू हुए एक साल हो जाएगा. किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है. अगर इस दौरान उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो किसान पक्की किलेबंदी के साथ दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन करेंगे.

फोटो साभार- ट्विटर

नई दिल्ली. पिछले करीब 11महीने से तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने सोमवार को कहा कि केंद्र के पास विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए 26 नवंबर तक का वक्त है और इसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को तेज किया जाएगा.

  1. 26 नंवबर को किसान आंदोलन को शुरू हुए हो जाएगा 1 साल
  2. किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कही बात
  3. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसान

26 नवंबर को आंदोलन को हो जाएगा 1 साल

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसे 26 नवंबर को एक साल पूरा हो जाएगा. इन प्रदर्शनों की अगुवाई संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) कर रहा है. इसमें किसानों के कई संगठन शामिल हैं. बीकेयू भी एसकेएम में शामिल है और उसके समर्थक दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में धरना दे रहे हैं.

टिकैत ने ट्वीट करके कही बात

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि 'केंद्र सरकार को 26 नवंबर तक का समय है, उसके बाद 27 नवंबर से किसान गांवों से ट्रैक्टरों से दिल्ली के चारों तरफ आंदोलन स्थलों पर बॉर्डर पर पहुंचेंगे और पक्की किलेबंदी के साथ आंदोलन और आंदोलन स्थल पर तंबूओं को मजबूत करेंगे.

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इन कानूनों को खारिज करने की मांग कर रहे हैं किसान

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को रद्द करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानून बनाए.

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बता दें, केंद्र और किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है. केंद्र सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के हित में हैं जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ये कानून उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देंगे.

(पीटीआई भाषा के इनपुट के साथ)

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