केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के लिए खिलाफ 11 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है।मीडिया सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि इस बंद में करीब 15 करोड़ कामगार हिस्सा लेंगे और इस बंद के चलते सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां, कई सरकारी-निजी उपक्रम सब में काम ठप रहेगा। इसके चलते यातायात, बिजली की आपूर्ति समेत गैस और तेल क्षेत्र में भी काम ठप हो सकता है।
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नई दिल्ली: केन्द्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों के लिए खिलाफ 11 सेन्ट्रल ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया है।मीडिया सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि इस बंद में करीब 15 करोड़ कामगार हिस्सा लेंगे और इस बंद के चलते सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक, इंश्योरेंस कंपनियां, कई सरकारी-निजी उपक्रम सब में काम ठप रहेगा। इसके चलते यातायात, बिजली की आपूर्ति समेत गैस और तेल क्षेत्र में भी काम ठप हो सकता है।
इसके साथ ही बिजली, यातायात, खनन, रक्षा, टेलीकॉम और इंश्योरेंस क्षेत्र पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। शुक्रवार को बैंक और सरकारी ऑफिस पूरी तरह से बंद रहेंगे। इस हड़ताल में इंटक, एचएमएस, सीटू, एआईटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी और एलपीएफ ने बंद का ऐलान किया है। वहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल से हटने का फैसला किया है।
सेंट्रल ट्रेड यूनियन की ओर से 2 सितंबर को भारत बंद के ऐलान के बाद सरकारें आफत में आ गई हैं। यूनियन्स अपनी 12 सूत्रीय मांगो के लिए हड़ताल करेंगे। उनकी मांग है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए 18,000 रुपए प्रति माह का वेतन तय किया जाए।
उनकी ओर से यह मांग भी की गई है कि आवेदन करने के 45 दिन के भीतर ट्रेड यूनियनों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाए और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में हुए सी -87 और सी -98 सम्मेलनों के सुधार तत्काल लागू किए जाए।
बैंकिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर जुड़े तमाम संगठन भी हड़ताल में न सिर्फ शामिल होंगे बल्कि सक्रिय तौर पर सड़कों पर उतरेंगे। ऑटो रिक्शा चालक संघों, सेल्स रिप्रेजेन्टेटिव यूनियन, आशा-आंगनवाड़ी संघ, ठेका-मानदेय-संविदा पर काम कर रहे संगठनों ने भी समर्थन दिया है।
मजदूर-संगठन पिछले कई महीनों ने आम-हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी कर रहे हैं। हड़ताल का असर छोटे-ब़ड़े कल कारखानों से लेकर चक्काजाम के तौर पर रेल और सड़क परिचालन पर भी नजर आ सकता है।
केंद्र सरकार की तरफ से गैर कृषि क्षेत्र के श्रमिकों का वेतन प्रतिदिन 112 रूपए से बढ़ाकर 350 रूपए किए जाने की घोषणा हो चुकी है। यह प्रस्ताव पहले ही सरकार की तरफ से दिया गया था पर उसे अभी तक लागू नहीं किया गया था। ट्रेड यूनियन संस्था सीटू ने कहा कि 350 रूपए प्रति दिन मेहनताना करके सरकार ने श्रमिकों के साथ मजाक किया है।