तीन तलाक पर बिल आज राज्यसभा में होगा पेश, कांग्रेस समेत अन्‍य विपक्षी दलों पर टिकीं नजरें
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तीन तलाक पर बिल आज राज्यसभा में होगा पेश, कांग्रेस समेत अन्‍य विपक्षी दलों पर टिकीं नजरें

राज्यसभा की कार्यसूची के अनुसार, मुस्लिम महिला (विवाह संबंधित अधिकारों का संरक्षण) विधेयक दो जनवरी को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद चर्चा एवं पारित कराने के लिए उच्च सदन में रखेंगे.

तीन तलाक कहने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने संबंधी विधेयक को आज राज्यसभा में रखा जाएगा. (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली : मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक कहने के चलन को फौजदारी अपराध बनाने संबंधी विधेयक को आज राज्यसभा में रखा जाएगा. लोकसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है. एक बार में तीन तलाक या तलाके बिद्दत के अपराध में पति को तीन साल की सजा के प्रावधान वाले इस विधेयक को पिछले सप्ताह लोकसभा में पारित किया गया था. राज्यसभा की कार्यसूची के अनुसार, मुस्लिम महिला (विवाह संबंधित अधिकारों का संरक्षण) विधेयक दो जनवरी को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद चर्चा एवं पारित कराने के लिए उच्च सदन में रखेंगे.

  1. रविशंकर प्रसाद बिल को सदन में रखेंगे.
  2. लोकसभा में विधेयक पारित हो चुका है.
  3. मुस्लिम संगठन कर रहे हैं इसका विरोध.

उधर, कांग्रेस इस विधेयक पर अपना रुख तय करने से पहले व्यापक विपक्ष से मशविरा करेगी. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों ने बताया कि ऊपरी सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में विधेयक पेश किए जाने से पहले अपनी पार्टी के नेताओं और अन्य पार्टी के नेताओं की कल संसद में अपने चैंबर में एक बैठक बुलाई है.

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधेयक के पक्ष में है, क्योंकि इसमें एकसाथ तीन तलाक पर रोक लगाने का प्रस्ताव है, लेकिन क्या वह उसे प्रवर समिति को भेजने के लिए दबाव डालेगी या नहीं यह आज ही पता चलेगा. सूत्रों ने बताया कि पार्टी विधेयक में संशोधनों के लिए जोर डाल सकती है.

इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि ट्रिपल तलाक पीड़ित महिला अपने और अपने अल्पवय बच्चों के लिए गुजारा भत्ता पाने के मकसद से मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकती है. पीड़िता मजिस्ट्रेट से अपने अल्पवय बच्चों के संरक्षण की मांग कर सकती है. इस प्रस्तावित कानून के अनुसार, मौके पर बोला गया तलाक, भले ही वह मौखिक, लिखित अथवा ईमेल, एसएमएस और व्हाट्स एप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से हो, वह गैरकानूनी एवं निष्प्रभावी हो जाएगा.

पढ़ें- 'ट्रिपल तलाक बिल' पर इसलिए थी पीएम मोदी को जल्दी, कांग्रेस के पूर्व मंत्री ने किया बड़ा खुलासा!

इस बीच इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दावा किया कि राज्यसभा में यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो विभिन्न मुस्लिम संगठन उच्चतम न्यायालय की शरण लेंगे. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है और इस बात की भी संभावना है कि इस विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जा सकता है.

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