दिल्ली में एक 60 साल के बुजुर्ग का वजन लगातार घटता जा रहा था. जब डॉक्टरों ने उनके टेस्ट किए तो अंदर पनप रही बड़ी बीमारी देखकर चौंक गए.
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नई दिल्ली: किसी 60 किलो वजन के व्यक्ति के अंदर अगर 6 किलो का ट्यूमर (Tumor) पनप जाए और उसे इस बात का अंदाज़ा ना हो. सुनने में यह बात थोड़ी मुश्किल लगती है लेकिन दिल्ली के रहने वाले एक बुजुर्ग के साथ ऐसा ही हुआ.
दिल्ली (Delhi) के रहने वाले विष्णु दत्त के शरीर में दो नवजात बच्चों के वजन जितना बड़ा ट्यूमर (Tumor) पनप चुका था. हालांकि इससे उनका वज़न नहीं बढ़ा बल्कि अंदर पनप रही बीमारी की वजह से वजन लगातार गिर रहा था. जब इनकी बीमारी ने इन्हें संकेत देने शुरु किए, तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि दिल्ली के सेंट स्टीफेंस और ILBS अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए.
विष्णु दत्त को केवल रोज़ाना बुखार आता था. जो पैरासिटामोल खाने से उतर भी जाता था. एक महीने से ज्यादा का वक्त चुका था लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण के डर से वे अस्पताल नहीं जा रहे थे. आखिरकार परिवार वाले ज़िद करके इन्हें दिल्ली (Delhi) के सेंट स्टीफेंस अस्पताल लेकर गए. ट्यूमर (Tumor) का आकार और मामले की गंभीरता देखकर इन्हें ILBS यानी Institute of Liver and Biliary Sciences में रेफर कर दिया गया.
वहां हुए टेस्ट में डॉक्टरों को पता चला कि इनके दिल को खून सप्लाई करने वाली तीनों आर्टरी में भी ब्लॉकेज है. जिससे दिल में और शरीर में खून की सप्लाई पर भी असर पड़ रहा था. उस अस्पताल में दिल की बीमारी के इलाज की व्यवस्था ना होने की वजह से इन्हें दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में रेफर किया गया. कोरोनाकाल में डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती करने के साथ ही आपरेशन करने में भलाई समझी.
हालांकि ऑपरेशन बड़ा था यानी शरीर में बड़े कट लगाने की जरुरत थी. इसमें ज्यादा खून बहने का खतरा था - लेकिन अब ट्यूमर (Tumor) इतना बढ़ चुका था कि वो बड़ी आंत, पैंक्रियाज़ यानी अग्नाशय और स्प्लीन यानी तिल्ली तक को कवर कर रहा था. लिहाज़ा एक साथ पूरा ट्यूमर हटाना जरुरी था.
विष्णु दत्त का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर सौमित्र रावत के मुताबिक ट्यूमर (Tumor) ने शरीर के बाईं और के हिस्से को फेफड़ों से लेकर पेट के निचले हिस्से तक कवर कर लिया था. ज्यादा देरी करने से ट्यूमर के फटने का खतरा था. इसलिए तुरंत सर्जरी ही एकमात्र विकल्प था.
डॉक्टरों के मुताबिक अब अगले कुछ महीनों तक मरीज को वज़न सामान्य करने में लगेंगे, उसके बाद कमजोरी की समस्या दूर हो जाएगी. दिल की बीमारी पकड़ में आने के बाद उसकी दवाएं भी शुरु कर दी गई हैं. आपरेशन को अब 4 हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है और विष्णु एकदम ठीक हैं. विष्णु आपरेशन की बाद की जिंदगी को अपना दूसरा जन्म मानते हैं. और इसके लिए वो अपना इलाज करने वाले डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं.
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हालांकि ऐसी किस्मत सभी की नहीं होती. इसलिए डॉक्टर्स ये सलाह देते हैं कि अगर शरीर में लगातार बुखार रहता है तो समझ जाइये कि शरीर में कोई न गड़बड़ी है. इसे बिल्कुल नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए.
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